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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी जं केवल दिस्टि नंत नंता हिउ,
जोग ध्यान तं जिन उवनं । तं विंद रमन विन्यान संजोये, तं तरन विवान सु परम जिनं ॥ ३२ ॥
॥भवियन.॥ हितमित सहिय सु परिनै कोमल,
केवल भाव सु ममल पयं । अन्मोय सहावे समय स उत्तं, बोध ममल तं मुक्ति पयं ॥ ३३ ॥
॥भवियन.॥ सिद्ध सरूवे मुक्ति सहावे,
न्यान विन्यान सु समय पयं । विंद रमन विन्यान तरन सुइ, तं नंत ध्यान सुइ सिद्धि जयं ॥ ३४ ॥
॥भवियन.॥ (८९)अबयासीक छह फूलना
गाथा १८२७ से १८३५ तक
(विषय : छह आवश्यक गुण) अवयास यास आयरन ममल है,
___ अवयास नंत जिन उवन जिनं । जिन जिनयति सहज उवन आयरनं,
अन्मोय न्यान आयरन पयं ॥ तं ममल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ १ ॥
उव उवन पयं उव समय समं,
तं विंद रमन उव सुन्न समं । उव उवन सरनि विष विषम रमनि,
उत्पन्न षिपिय जिननाथ सुयं ॥ ___ भवियन भय षिपिय अमिय रस मुक्ति जयं ॥ २ ॥
॥आचरी॥ अस्ति संसार सरनि सुइ विलयं,
तं अस्ति अमिय रस ममल पयं । अन्मोय न्यान भय षिपक रमन जिनु,
तं विंद रमन उव अस्ति समं ॥ तं ममल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ३ ॥
॥ उव उवन.॥ वस्तुत्वं नंत नंत रमन रयन जिनु,
बल वीर्य रमन जिन वस्तु वसं । वस्तुत्वं अर्थ जिन अर्थति अर्थह,
सम अर्थ सुयं परमर्थ पयं ॥ तं ममल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ४ ॥
॥ उव उवन.॥ अप्रमेय अप्रमान रमन जिन,
अयं अयं अप्प परमप्प पयं । सुड़ नंतानंत जिनय जिन उवनं,
आयरन उवन सह सहै समं ॥ तं ममल रमन सुइ सिद्धि जयं ॥ ५ ॥
॥ उव उवन. ॥