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श्री ममल पाहुइ जी वैयाविति तं विति न्यान मय,
न्यान रमन उववन्न सुयं । रिजु विपुलं च विति सुइ उवनं, मनपर्जय सुइ विंद रयं ॥ २३ ॥
॥भवियन.॥ न्यानावरनु सुयं सुइ विलयौ,
भय सल्य संक विलयंतु सुयं । तरन विवान विंद सुइ रमनं, मनपर्जय अन्मोय सुयं ॥ २४ ॥
॥भवियन.॥ सुद्धध्याय सुयं धुव ममलं,
___ममल विंद तं रमन सुयं । तरन विवान सहाइ समय सुइ, सम समय सिद्धि सुइ समय पयं ॥ २५ ॥
॥भवियन.॥ सुद्ध सरूवे सहज सनंदे,
तवयरन सुद्ध सुइ सुद्ध पयं । विन्यान विंद तं रमन सुभावे, अन्मोय न्यान सम समय धुवं ॥ २६ ॥
॥भवियन.॥ काउत्सर्ग चरन तवयरनं,
क्रांति कमल उत्पन्न सुयं ।
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी विंद रमन विन्यान तरन सुइ, विन्यान न्यान केवलि उवनं ॥ २७ ॥
॥भवियन.॥ कप्प वियप विलय पर्जय रे,
भुक्त विलय सुइ सुपिन विलं । विनंद विली तं सुपिन विली सुइ, ___ कम्मु विलय केवलि उवनं ॥ २८ ॥
॥भवियन.॥ तं न्यान अन्मोय अबलबली उवनं,
विन्यान विंद सुइ रमन पयं । तरन विवान अन्मोय वली सुइ, विषम विषय तं गलिय सुयं ॥ २९ ॥
॥भवियन.॥ विषय गलिय तं न्यान अन्मोयह,
न्यानेन न्यान सुइ मिलिय पयं । विंद रमन तं तरन सहावे, परम न्यान केवलि उवनं ॥ ३० ॥
|भवियन.॥ ध्यान स उत्तउ सुयं सहज जिनु,
नंतानंत सु धुव रमनं । नंत चतुस्टय सहज सरूवे, तरन विवान सु धुव ममलं ॥ ३१ ॥
॥ भवियन.॥