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श्री ममल पाहुड
जी
अनसन संसार सरनि
पर्जय भय सयन नंत सुइ गलियं,
सुइ विलयं, सयन विंद रस रमिय सुयं ।
सयन सरूवे सुर्य रमन जितु.
तं विंद रमन सुइ भय विलयं ॥ ५ 11 ॥ भवियन ॥
पर पर्जय सयन नंत सुइ
अप्प सरूवे
पर
अषय परम जिनु परम पयं । विलयं,
विन्यान सयन तं मुक्ति पयं ॥ ६ ॥
॥ भवियन ॥
आमोदर्ज सुर्य जिन
पर्जय विलयंतु
कलियं, मै मूर्ति मौ ममल
विन्यान विंद रय रमन परम पय,
पर्य ।
परम न्यान सुड़ सिद्धि जयं ॥ ७ II
॥ भवियन ॥
न्यान सहावे,
विंद रमन रे रै जै जै । परम जिनु, दर्स
परम
वस्त संध्य सुइ षिपिय षिपक जिनु,
दर्सीजै ॥ ८ ॥ ॥ भवियन ॥
संसरनि वस्त तं सुइ गलियं ।
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पर्जय सरनि वस्त जं वसियं, विन्यान विंद रे विलय
वस्त
वसिय जं पर पर्जय रे, राग गलिय जनरंज भय सल्य संक सक गलिय जिनय जिनु,
रस
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
परित्याग तिक्त जिन उत्तह, पर्जय रय रसिय सुयं गलियं । न्यान विन्यानह विंद रमन रस,
सुयं ।
वस्त विलय तं मुक्ति पयं ॥ १० ॥ ॥ भवियन ॥
कलरंजन दोष रसिय पर्जय रै,
पर
९ 11
सुयं ॥ ॥ भवियन ॥
पर पर्जय रसिय सुयं विलयं ॥ ११ ॥ ॥ भवियन ॥
पर पर्जय नंत नंत जं रसियं,
विन्यान विंद रस सुइ विलयं ।
विविक्त सेजासन विक्त सयन रुइ,
अन्मोय तरन तं सुइ गलियं ॥ १२ ॥ ॥ भवियन ॥
विक्त रूव पर्जय गलियं । पर्जय संजोय सुयं गलि
न्यान अन्मोय सु सिद्धि जयं । १३ ।। ॥ भवियन ॥