________________
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी त्यागं तिक्त तिक्त पर पर्जय,
भय सल्य संक विलयंतु सुयं । दानं तं नंत नंत जिन रमनं,
त्याग न्यान सुइ सिद्धि जयं ॥ उव सम षिम रमन सु ममल पयं ॥ १० ॥
॥ उव उवन.॥ आकिंचन आयरन जिनय जिनु,
अर्थति अर्थ सु ममल रयं । षट् कमलह तह अंगदि अंगह,
आयरन धम्म तं मुक्ति पयं ॥ उव सम षिम रमन सु ममल पयं ॥ ११ ॥
॥ उव उवन.॥ बंभ चरन आयरन अरुह रुइ,
षट् रमन रयन सुइ जिनय जिनं । अबंभ रमन सुइ विलय सहज जिनु,
अन्मोय न्यान सुइ बंभ पयं ।। उव सम षिम रमन सु ममल पयं ॥ १२ ॥
॥ उव उवन. ॥ दह विहि आयरन सुर्य जिन रमनं,
__ भय षिपनिक सुइ अमिय रसं । तारन तरन सु विंद रमन जिनु,
अन्मोय समय सिह मुक्ति जयं ॥ उव सम षिम रमन सु ममल पयं ॥ १३ ॥
॥ उव उवन.॥
(८८) तप विसेष फूलना गाथा १७९३ से १८२६ तक
(विषय : बारह प्रकार तप) उवंकार उनऊ विंद रमन जिनु,
रमन विंद जिन रमिजै । जिन जिनयति जिनय विंद रै रमनह,
रमन विंद सिद्धि रमिजै ॥ १ ॥ भवियन भय षिपिय रमन जिनु रमिजै,
नंद अनन्दह कमल रमन जिनु । रमन विंद सिद्धि रमिजै, भवियन भय षिपिय रमन जिनु रमिजै ॥ २ ॥
|| आचरी॥ विंद उवंनऊ सुद्ध समय जिनु,
सुद्ध ममल जिन उत्तु सुयं । तरन विवान समय संजुत्तऊ, तं विंद रमन सुइ परम पयं ॥ ३ ॥
॥भवियन.॥ भय विनासु तवयरन परम जिनु,
तव आयरन चरन जिन उत्तु सुयं । सहज सुभावे विंद रमन जिनु, तं तरन विवान मुक्ति मिलियं ॥ ४ ॥
॥ भवियन.॥
(२९३)