SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 285
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी जिन भय विलयं भय इस्ट गलं, भय उवन सुयं विलयंतु । परमिस्टि अभय उत्पन्न समय, परमिस्टि सिद्धि सम्पत्तु ॥ २० ॥ ॥जिन उवन.॥ परमिस्टि अर्क उत्पन्न अर्क, सर्वार्थ अर्क जिन उत्तु । परमिस्टि रमनु तं सिद्धि गमनु, सर्वार्थ अर्क संजुत्तु ॥ २१ ॥ ॥जिन उवन.॥ परमिस्टि इस्टि उत्पन्न इस्टि, जिनु अर्थ समर्थ संजुत्तु । जं अर्थ न्यान पय सर्वन्य अर्थ मय, परमिस्टि रमन सिद्धि रत्तु ॥ २२ ॥ ॥जिन उवन.॥ जिनु विंद रमनु विन्यान गमनु, परमिस्टि रमन रस उत्तु । जिनु मग्ग अगम रै मुक्ति रमन सुइ, जिनु सुर्य रमन संजुत्तु ॥ २३ ॥ ॥जिन उवन.॥ जिनु तरन इस्टु उत्पन्न श्रेस्टु, । जिनु विंद संजोय स उत्तु । परमिस्टि परम रै कम्मु गलिय सुइ, ___ अन्मोय विंद रस नंतु ॥ २४ ॥ ॥जिन उवन.॥ जिनु षिपक इस्टु षिपि उवन इस्टु, परमिस्टि रमन जिन उत्तु । जिनु समय सुवनु जिन न्यान रमनु, विपि कम्मु मुक्ति दर्संतु ॥ २५ ॥ ॥जिन उवन.॥ अस्थान इस्टु उत्पन्न दिस्टु, आयरन न्यान जिन उत्तु । परमिस्टि रमन रय आयरन ममल पय, परमिस्टि अमिय रस जुत्तु ॥ २६ ॥ ॥जिन उवन.॥ अस्थान रमनु हिययार गमनु, उत्पन्न इस्ट दर्सतु । परमिस्टि रमन रस ममल न्यान जस, भय षिपनिक मुक्ति संजुत्तु ॥ २७ ॥ ॥जिन उवन.॥ जिन गहिर इस्टु उत्पन्न दिस्टु, परमिस्टि न्यान संजुत्तु । जिनु गुपित मिलय उत्पन्न निलय, परमिस्टि दर्स दर्संतु ॥ २८ ॥ ॥जिन उवन.॥ (२८५)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy