SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जिन अमिय पियं जिन रंजु सुयं, जिननाथ सिद्धि सम्पत्तु ॥ १५ ॥ ॥जिन उवन.॥ परमिस्टि इस्टि उत्पन्न इस्टि, परमिस्टि सुयं सुइ परमिस्टि दर्स उत्पन्न दर्स, तं दर्सिउ उवन लषु । अलषु ॥ १६ ॥ ॥जिन उवन.॥ आह्वान अनंतु । श्री ममल पाहुइ जी जिन रमन उत्तु परमिस्टि जुत्तु, तं न्यान रमन संजुत्तु । अन्मोय अवलबली विषय विलय षलु, जिन रमन मुक्ति संजुत्तु ॥ ११ ॥ ॥जिन उवन.॥ जिन उवन विली उत्पन्न मिली, जिनु भुक्त विली दर्सतु । हिय रमन मिली हिय उवन विली, जिनु सिद्धि मुक्ति दर्संतु ॥ १२ ॥ ॥जिन उवन.॥ जिन गुपित मिली विनंद विली, जिनु न्यान रमन रस जुत्तु । अन्मोय वली विष विषम विली, जिनु रमन सिद्धि सम्पत्तु ॥ १३ ॥ ॥जिन उवन.॥ जिन इस्ट इस्टु उत्पन्न उस्टु, जिनु समय प्रमान सु इस्टु । जिन इस्ट दर्स उत्पन्न दर्स, जिनु न्यान सिरी इस्टंतु ॥ परमिस्टि रमन तं मुक्ति पऊ ॥ १४ ॥ ॥जिन उवन.॥ अन्मोय न्यान सुइ सुद्ध जानु, उव उवन सब्द दिस्टंतु । परमिस्टि पयं जिन न्यान मयं, तं न्यान जिनु भय षिपियं जिनु जीउ पियं, आह्वान मुक्ति दर्संतु ॥ १७ ॥ ॥जिन उवन.॥ अगम्य विलसंतु । परमिस्टि गमनु तं न्यान रमनु, तं गम परमिस्टि इस्टि उत्पन्न इस्टि, परमिस्टि नृत दर्संतु ॥ १८ ॥ ॥जिन उवन.॥ दिस्टि तं नृत नृत रै झड़प गलिय सुइ, तं नृत भय षिपिय भव्वु सुइ ममल न्यान मौ, तं अमिय संजुत्तु । दिस्टि दर्सतु ॥ १९ ॥ ॥ जिन उवन.॥ (२८४)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy