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श्री ममल पाहुइ जी (८२) संजोय मुक्ति पचीसी फूलना
गाथा १६७४ से १६९८ तक
(विषय उत्पन्न सोलही) उव उवनऊ उवन उव उवन पऊ,
उव उवनऊ रमन स उत्तु । रमन सहावे रे परम पर,
सुइ रमन सिद्धि सम्पत्तु ॥ १ ॥ जिन जिनयति जिनय जिनेन्द पउ,
जिन जिनिय कम्मु विलयंतु । जिन जिनय सहावे रे सुइ समय मउ, जिनु समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ २ ॥
॥ आचरी॥ जिनु जिनय सहावे रे जिनु कलन मउ,
जिनु कलन कमल जिन उत्तु । जिनु कलन चरन रे सुइ कर्न मउ, जिनु कलन समय सिद्धि रत्तु ॥ ३ ॥
॥ जिन. ॥ जिन अन्मोए रे सुइ कलन पउ,
कलन उवन जिन उत्तु । कलन अन्मोए रे सुइ चरन पउ, सुइ कलन कर्न संजुत्तु ॥ ४ ॥
॥ जिन. ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी सुइ कलन उवने दिपि दिप्ति मउ,
रुड़ रमन रयन संजुत्तु । कम कलन रंजु जिन उवन पउ, जं उवन समय संजुत्तु ॥ ५ ॥
॥ जिन. ॥ उव उवने उवन सहाउ मुनी,
दिपि दिप्ति अनंतानंतु । दिपि परिनामु रे सुइ दिप्ति मउ, दिपि दिप्ति दिस्टि संजुत्तु ॥ ६ ॥
॥ जिन. ॥ सम समय उवनउ दिपि दिप्ति सुइ,
जिननाह दिस्टि सुइ उत्तु । अंगदि अंगह रे सुइ लब्धि मउ, दिपि दिस्टि सिद्धि सम्पत्तु ॥ ७ ॥
॥ जिन. ॥ रुइ रमनु जिनय जिनु रे समय मउ,
रुइ सब्द प्रियो जिन उत्तु । रुइ नंत अनंतह रे जिन रमन मउ, रुइ समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ ८ ॥
॥ जिन ॥ कम कमल उवनउ हो कलन पउ,
कल कलन रंजु जिन उत्तु ।
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