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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी जिन उवनं जिन गमनं, जिन समयं जिनय जिनु रमनं । तारन तरन अन्मोयं, कमलं जय कर्न समय निर्वानं ॥ ४४ ॥ (८) हिय डोरिनी फूलना गाथा १६५९ से १६७३ तक (विषय: विवान पांच) उव उवनौ उवन उवन पऊ । उव उवनौ उवनौ समय संजुत्तु ॥ हिय डोरिनी. ॥ १ ॥ सम समय सहावे साहियौ । जिन साहिऊ सहिउ उवन स उत्तु ॥ हिय डोरिनी. ॥ २ ॥ उव उवन सउत्तउ जिनय पऊ । जिन जिनियौ जिनियौ नंत अनंतु ॥ हिय डोरिनी. ॥ ३ ॥ उव उवन अर्क सुइ उवन पऊ । उव उवनौ उवन उवन दर्संतु ॥ हिय डोरिनी.॥ ४ ॥ उव उवन झड़प सुइ सरनि पऊ।। जिन उवनउ उवन न्यान विलयंतु ॥ हिय डोरिनी. ॥ ५ ॥ उव उवन दिप्ति दिपि दिप्ति मऊ । जिन उवनउ उवन दिस्टि जिन उत्तु ॥ हिय डोरिनी. ॥ ६ ॥ दिपि दिप्ति दिस्टि सम साहियऊ । जिन दिस्टिहि दिस्टिहि दिप्ति जिनुत्तु ॥ हिय डोरिनी. ॥ ७ ॥ उव उवन सब्द पिउ जिनय जिनु । जिन विंद सुइ विंद कमल जिन उत्तु ।। हिय डोरिनी. ॥ ८ ॥ जिन कमल सब्द जिन उवन मऊ । जिन विंद सुइ विंद रुइय जिन उत्तु ।। हिय डोरिनी.॥ ९ ॥ हिययार उवन जिन उवन पऊ । जिन कमलह कमल कलन जिन उत्तु ।। हिय डोरिनी. ॥ १० ॥ दिपि दिप्ति दिस्टि पिउ सब्द मऊ । जिन हिय हुव हिय हुव कमल कलंतु ॥ हिय डोरिनी. ॥ ११ ॥ अन्मोय कलन कलि कमल मऊ । जिन हिय सह हिय सहयार जिनुत्तु ॥ हिय डोरिनी. ॥ १२ ॥ जं तारन तरन सहाउ मऊ। जिन उवने जिन उवने रयन जिनुत्तु ॥ हिय डोरिनी. ॥ १३ ॥ जं पूर्व तरन कलि कमल पऊ । जिन अन्मोय अन्मोय समय जिन उत्तु ।। हिय डोरिनी. ॥ १४ ॥ जिन उवन समय सुइ सहज जिनु । जिन समय सिह समय सिद्धि सम्पत्तु ।। हिय डोरिनी.॥ १५ ॥ जिन उवनाम २७९
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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