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________________ श्री ममल पाहुइ जी श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी (८०) चतुर्विथि संघ गाथा गाथा १६१५ से १६५८ तक (विषय : कमल दल, ज्ञान पाँच, अर्थ पाँच, संज्ञा चार) जय जय जयवंत सुभावं, जय जय जय जयो जयो जिन उवनं । जय उवनं जय रमनं, जय जय जयवन्त जयो सिद्धानं ॥ १ ॥ जय इस्ट जय उत्तं, जय मय जय सहाव उव उत्तं । जय ढलनं जय उवनं, जय जय जयवंत जयो जय उवनं ॥ २ ॥ जय रमनं जय गमनं, जय तत्काल उवन जिन रमनं । जय गम अगम्य जय गमनं, जय नृतं जयो जय उवनं ॥ ३ ॥ जय इस्ट दर्स दर्स, जय उवनं जय उवन दर्स दर्सति । जय दर्सं जय लषनं, जय लषियं अलष्य उवन जिन जिनयं ॥ ४ ॥ जिन मइयं जिन सुइयं, जय मै जय सुइ उवन उवन निधि जैयं । जय जयो जयो मन पर्जयं, जय जय जयवंत केवलं ममलं ॥ ५ ॥ जय कमलं जय कलनं, जय जय जय जयो कमल ठह उवनं । जय कण्ठ कमल चर चरनं, ___ चरनं सिय जयो जयो सिय रमनं ॥ ६ ॥ जय उवन उवन सिय रमनं, जय सिय जय सुइ सुयं जय उवनं । जय नंत नंत उव उवनं, जय जय जयवंत जयो सिय रमनं ॥ ७ ॥ जय उवन उवन सिय जैयं, ___ जय सिय जय उवन उवन ममलं च । जय उवन उवन सिय जैयं, धुव कमलं कमल कलन धुव वयनं ॥ ८ ॥ धुव सिय धुव धुव उत्तं, जय धुव जय उत्तु जयो धुव वयनं । जय उत्त वयन जय उवनं, उवनं जय जयो कर्न सिय धुवनं ॥ ९ ॥ उव उवन उवन धुव उवनं, धुव सिय उव नंत कर्न सिय रमनं । जय उवन जयं सिय उवनं, जय धुव उव नंत कर्न जय समयं ॥ १० ॥ (२७५)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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