SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 274
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री ममल पाहुइ जी श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी ७- उव उवन गाथा - उव उवन उवनु उव उवन जिनय जिनु, अगमु अगोचर अलष जिनु । मै नृततही जिनु अपनो पायौ, छोड़ न सकउ एकु षिनु ॥ १६ ॥ अन्तर ध्यान रहेइ जिनय जिनु, षट् रमन रमिय तं अरुह जिनु । उव उवन उवन दर्संतु सहज जिनु, सह समय उवन जिन मुक्ति जयं ॥ १७ ॥ मैं पाए हैं जिन तरन पियारे, अहु कमल रमन आधार हमारे ॥ मैं पाए हैं जिननाथ पियारे ॥ १८ ॥ ८- भरिउ मऊ गाथा - जं उवन उवन पौ भरिउ मऊ, तं लै गर्भिउ जिन उत्तु । स्वामी जिम भरियौ तिम आयरिऊ, जिन गर्भ उत्त जिन उत्तु ।। जिन उत्त वयन जिन आयरिऊ, जिन उत्तु सिद्धि सम्पत्तु ॥ १९ ॥ जिन उवन उवन पौ भरिऊ सुयं, लै गर्भिउ नंतानंतु । आयरन चरन तं परम पऊ, जिन कोड मुक्ति दर्संतु ॥ जिन उत्तु वयन जिन आयरिऊ ॥ २० ॥ (७९) कलसों की गाथा गाथा १६०८ से १६१४ तक (विषय : परिणाम भेद चार) चौ उववन्न सुभावं, दिगंतरं नंत नंताइ जिन दिळं । पय कमले सहकारं, क्रांति सहकार कलस जिन ढलियं ॥ १ ॥ सहकारं अर्थ तिअर्थ, अर्थं सहकार कलस जिन उत्तं । सुर विजन परिनाम, सहसं अटुंमि चौ उवन चौबीसं ॥ २ ॥ इस्टं दर्सति इन्द्रं, अप्प सहावेन इच्छ आछरयं । ऐरापति आयरनं, कमलं सहकार जिनेन्द विंदानं ॥ ३ ॥ कलसं सहाव उत्तं, कमल सरूवं च ममल सहकारं । भय विनस्य भवियनं, धम्मं सहकार सिद्धि सम्पत्तं ॥ ४ ॥ सिद्ध सरूवं रूवं, सिद्धं गुन विसेष ममल सहकारं । भय षिपिय कम्म गलियं, धम्मं पय पयडि मुक्ति गमनं च ॥ ५ ॥ जनमन जैवन्त सुभावं, जाता उववन्न जयकार ममलं च । भय षिपनिक भवियनं, जय जय जयवंत जन्म तित्थयरं ॥ ६ ॥ धम्म सहाव संजुत्तं, तारन तरनं च उवन ममलं च । लोयालोय पयासं, तिअर्थ आयरन सिद्धि सम्पत्तं ॥ ७ ॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy