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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी जिन दिस्टि इस्टि सुइ उवनं,
सुइ उवनं दिप्ति दिस्टि जिन रमनं । जिन दिप्ति दिस्टि सिय समयं,
समयं धुव उवन कमल कनं च ॥ २२ ॥ जिन दर्सन नंत अनंतं,
नंतं सुइ न्यान वीय विन्यानं । नंत सौष्य सुइ उवनं,
साहिय सिय कमल कर्न समयं च ॥ २३ ॥ जिन विषयं सुइ विलयं,
जिन अन्मोय अबलबलि रमनं । सिय साहिय धुव उवनं,
कमलं कनं च समय सिद्धानं ॥ २४ ॥
मै मूर्ति सुइ उवन ढलन सियं,
उव उवन कमल धुव कर्न सियं ॥ २ ॥ उव उवन धुव रमनं, सम समय सिय चरनं । उव उवनु उव उत्तु, सम समय सिय इत्थु ॥ ३ ॥ उव उवन दिपि दिप्ति, सह समय सिय रमति । उव उवन दिस्टि दरसु, दिपि दिस्टि सिय सुरसु ॥ ४ ॥
उवन मै उवनु, सह सहइ सिय रमनु । उव उवन धुव ढलनु, उव उवन सिय सहनु ॥ ५ ॥ उव उवनु धुव रमनु, तत्काल सिय सुवनु । उव उवनु धुव वयनु, सम समय सिय चरनु ॥ ६ ॥ उव उवन पय समय, पय पयन सिय रमय । उव उवनु सुइ कमलु, सह सहै सिय ममलु ॥ ७ ॥ कम कमल सुइ कलन सिरी, सुइ समय सिय चरन सिरी । उव उवन धुव कलनु, सिय चरन चर रवनु ॥ ८ ॥ उव कलन धुव अगमु, सह समय सिय रमनु ।
धुव परिनु, सह समय धुव सरनु ॥ ९ ॥ उव उवन धुव उत्तु, सिय समय सुह रत्तु । उव उवन सुइ नन्तु, सिय मुक्ति विलसंतु ॥ १० ॥ उव उवन धुव सब्दु, सम समय सिय नंदु । धुव उवन अवयासु, सिय रमन धुव पासु ॥ ११ ॥
(७०) सिय थुव छंद गाथा
गाथा १४१९ से १४४२ तक
(विषय कमल दल, विवान-५, परमेष्ठी-सटीक) उव उवन उवन उव उवनु जिनु,
उव उवन समय सिय धुव रमनं । गम अगम अलष जिनु धुव सिय सहिउ,
धुव सिय सुइ कमल सु कर्न समू ॥ १ जं जं सुइ उवन उवन जिन नंतयं,
नंतानंत सिय रमनु धुवं ।
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(२५९)