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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी = श्री ममल पाहुइ जी जिन उत्त समय सुइ उवनं, उवनं सुइ उवन उवन सिय रमनं । रमन सियं धुव उवनं, उवनं धुव कमल साहियं कर्न ॥ ११ ॥ जिन परिनै सुइ उत्तं, नंतं सुइ उवन न्यान ममलं च । परिनै उवन सु रमनं, साहिय सिय परिनै जिनय जिन उवनं ॥ १२ ॥ जिन उवन उवन सुइ नंतं, उवनं सुइ न्यान रमन ममलं च सिय साहिय जिन उवनं, जिन उवनं कमल साहियं कनं ॥ १३ ॥ जिन वयन अनंत विसेषं, नंत सुभावेन नन्त जिन उत्तं । जिन वयन साहि सिय रमनं, जिन वयनं कमल साहियं कनं ॥ १४ ॥ जिन समयं सुइ उवनं, समयं सुइ गमन अगम सुइ उवनं । अगम साहि सिय सयनं, धुव उवनं कमल साहियं कन ॥ १५ ॥ जिन रमनं सुइ उवनं, सुइ उवनं रमन नंत सुइ चरनं । रमन चरन सिय समयं, समयं धुव कमल साहियं कर्न ॥ १६ ॥ जिन लषियं अलष सु उवनं, अलषं धुव रमन साहि सिय सुवनं । सिय रमनं धुव उवनं, अलषं सुइ कमल साहियं कनँ ॥ १७ ॥ जिन धरन उवन सुइ रमनं, जिन धरन उवन साहि सिय सुवनं । जिन धरनं धुव उवनं, धुव धरनं कमल साहियं कर्न ॥ जिन गहनं जिनय जिनुत्तं, जिनुत्तं गहन साहि सिय रमनं । सिय धुव रमन सहावं, सिय धुव कमलं च साहियं कर्न ॥ १९ ॥ जिन इच्छ रमन सुइ उवनं, उवनं विन्यान न्यान सुइ इच्छ धुवं सिय रमनं, सिय धुव रमन कमल कर्न च ॥ २० ॥ जिन चेय वेय सुइ उवनं, ____उवनं सुइ नंत चरन कमलं च । कमल उवन धुव रमनं, रमनं सिय कमल कर्न धुव उवनं ॥ २१ ॥ - - - - (२५८
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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