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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममन पाहुइ जी (१९) सिय धुव गाथा गाथा १३९५ से १४१८ तक (विषय : विषय : - कमल दल) उव उवन सुर्य सुइ उवनं, ___उवन सुइ उवन उवन सुइ रमनं । रमन सियं सुइ उवनं, उवनं सुइ सब्द कर्न धुव रमनं ॥ १ ॥ जं जं अर्क उवन्नं, तं तं सिय साहि उवन सुइ रमनं । रमन उवन धुव वयनं, वयनं धुव कर्न साहियं ममलं ॥ २ ॥ उवन दिप्ति सुइ सुवनं, सुवनं उववन्न रमन तं उवनं । उवन साहि सिय रमनं, सिय धुव उववन्न कर्न साहियं ममलं ॥ ३ ॥ उवन विषय सुइ विलयं, बाधा सुइ विषय विलय सिय रमनं । सिय उवनं धुव ममलं, धुव उवनं कर्न साहियं सुवनं ॥ ४ ॥ उवन विलय सुइ ढलनं, अवधं सुइ विषय विलय सिय रमनं । सिय रमनं धुव उवनं, धुव उवनं कमल साहियं कनं ॥ ५ ॥ उवन विषय सुइ विलयं, सहजं सुइ विषय विलय सिय उवनं । उवन सियं धुव रमनं, धुव ममलं कमल साहियं कन ॥ ६ ॥ विषय विलय सुइ उवनं, उवनं सुइ विषय विलय सिय सुवनं । सिय सुवनं धुव गमनं, धुव गमनं कमल साहियं कर्न ॥ ७ ॥ जिन विषयं सिय विलयं, जिन सहकारेन जिनय जिन उवनं । जिन उवनं सिय सहियं, सिय धुव उवनं च साहियं कर्न ॥ ८ ॥ जिन उत्त उत्त सुइ नंतं, नंतं सुइ साहि कमल सिय रमनं । रमन धुवं जिन जिनयं, सिय धुव कमल साहियं कनं ॥ ९ ॥ जिन उवन सुभाव अनंतं, साहिय सुइ समय उवन सिय रमनं । धुव सिय धुव सुइ उवनं, उवनं सुइ कमल साहियं कर्न ॥ १० ॥ (२५७
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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