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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
धुव कलस ससि भवन, सिय ममल नृत रमन । धुव परम पद विंद, सिय कमल कलि नंद ॥ २२ ॥ धुव ममल सुड़ कमलु, सिय कर्न सम ममलु । धुव सिद्धि सुइ रमनु, सिय मुक्ति सुइ मिलनु ॥ २३ ॥
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- घत्ताइय धुव सिय ससहाउ मुनी,
उवन साहि जिन उत्तियऊ । उव उवन धुवं सुइ सिय रमनु,
सिहु समय सिद्धि सम्पत्तऊ ॥ २४ ॥
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श्री ममल पाहुइ जी उव उवन दिपि रमय, सिय रमन सम समय । उव उवन जिन जिनय, सिय समय धुव रमय ॥ १२ ॥ उव उवन धुव दिस्टि, सह समय सिय दिप्ति । उव उवन आनंदु, सिय चेय सुइ नंदु ॥ १३ ॥ उव उवन उव कमलु, सुइ कर्न सिय ममलु । उव कमल सुइ सब्द, सम कर्न सिय नंदु ॥ १४ ॥ सुइ समय सुइ कर्न, उव उवन हिय रमन । हिय उवनु अवयासु, सुइ कमल उवएसु ॥ १५ ॥ जं कमल कलि उवनु, तं कर्न धुव सुवनु । कलि कलिय सुइ कमलु, सिय कर्न सुइ ममलु ॥ १६ ॥ जं दिस्टि धुव दिप्ति, तं नंत सिय रमति । जं सरह धुव उवनु, तं समय सिय गमनु ॥ १७ ॥ हिययार धुव गहिर, सिय रमनु धुव अमर । धुव गुपित गुपितार, सिय रमन तत्काल ॥ १८ ॥ धुव उवनु छह पलय, सिय समय सम निलय । धुव जान पय उवन, सिय कमल सम कर्न ॥ १९ ॥ धुव कमल पय कमलु, सिय कदलु सुइ ममलु । धुव कदल सुइ पुलिनु, सिय पुलिन सुइ रमनु ॥ २० ॥ धुव पुलिन सुइ गगनु, सिय कलस सुइ उवनु । धुव गगन सुइ कलस, सिय कलस ससि रमन ॥ २१ ॥
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(७१) उमाहो फूलना गाथा १४४३ से १४५३ तक
(विषय: विवान-१, षट् रमन) उव उवनौ हो, उवनौ दाता उवन उवएसा,
उव उवनौ हो, उवन हिययार सु रमन सहेसा । उव उवनौ हो, साहै सहइ सु निलय निवासा,
सर्वंगह हो, स उत्तउ स्वामी सुन्न निवासा ॥ १ ॥ हम बाहुलो हो, उमाहो स्वामी तुम्हरे उवएसा, अन्मोय सहावे, समई मुक्ति प्रवेसा ॥ २ ॥
॥ आचरी॥
(२६०)