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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी दिप्ति दिस्टि सुइ दिस्टि सु दिपियं, अन्मोय तरन सह समय सिद्धि रितियं ॥ ८ ॥ तारन तरन उवन जिन उवनं, उवन सब्द पिय पिय सुइ सब्दं । उवन साहि अवयास उव कमलं, कमल कर्न विवान सिद्धि रमनं ॥ ९ ॥ तारन तरन उवन उव उवनं, उवन समय विवान सह रमनं । रमन कमल कर्न चरनं तं, सह समय विवान सिद्धि सम्पत्तं ॥ १० ॥ श्री ममल पाहुइ जी पय आयरन उवन श्रुत न्यानं, न्यान चरन वेदक सुइ समयं । हिययार रंज सुइ अमिय रमनं तं, आनंद कमल सुइ कर्न सिद्धि रमनं ॥ ३ ॥ पदवी साधु उवन निहि अवहि, वीय चरन सुइ उवन सम्मत्तं । सहयार रंजु दिपि दिप्ति सु रमनं, चेयनंद कर्न कमल सिद्धि रमनं ॥ ४ ॥ अर्ह जिनं मनपर्जय न्यानं, तव आयरन सम्मत्त षिउ उवनं । विन्यान रंजु जिन रमन जिनुत्तं, सहजनंद कर्न कमल सिद्धि रत्तं ॥ ५ ॥ पदवी सिद्ध केवलं न्यानं, चरनु चरिय धुव उवन सम्मत्तं । जिन जिनय रंजु जिननाथ सु रमनं, परमनंद कर्न कमल सिद्धि रमनं ॥ ६ ॥ पदवी उवन उवन जिन उत्तं, उवन सुभाव जिनय जिन श्रुतं । उवन उवन उव उवन सु कन, उवन कलन कमल सिद्धि रमनं ॥ ७ ॥ सुइ तारन तरन विवान स उत्तं, विवान समय उव उवन जिन रंजं । (६८)बृत सुवा फूलना गाथा १३७१ से १३९४ तक (विषय : कमल दल, दिप्ति-१४, विवान-५, कलन चरन रमन-1) उव उवन उवन सुइ रमन पऊ नृत सुवा, नृत सुइ रमन स उत्तु सुवा । सुयं रमन सुइ उवन पऊ नृत सुवा, उव उवन दिप्ति विलसंतु सुवा ॥ १ ॥ उव उवन दिप्ति सुइ नंत मऊ नृत सुवा, दिप्ति ढलन सुइ नंत सुवा । ढलन जु न्यान विसेष मऊ नृत सुवा, ढलन न्यान नृतयंतु सुवा ॥ २ ॥ (२५४)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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