SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 253
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी नंतानंत सु अर्क, नंत जिन नंत जिनुत्तु । नंतानंत सुभाइ, अर्क जिनु अर्क जिनुत्तु ॥ ११ ॥ ॥ सिद्ध.॥ अन्मोय अर्क सुइ ऊवने, जिन जिनयति जिनय जिनुत्तु । सरनि संक भय विलयं, मुक्ति पंथु दर्संतु ॥ १२ ॥ ॥ सिद्ध.॥ तारन तरन सहाइ, सहज जिन अर्क पउत्तु । । अन्मोय दिस्टि सुइ ऊवने, सिहु समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ १३ ॥ । सिद्ध.॥ श्री ममल पाहुइ जी इस्ट इस्ट भय विलयं, उवन भय उवन विलंतु । अभय अभय सुइ ऊवने, भय सल्य संक विलयंतु ॥ ४ ॥ ॥ सिद्ध.॥ अर्क विंद सुइ ऊवने, विंद अर्क सुइ उत्तु । विंद सुयं सुइ अर्क, अर्क सुइ विंद अनंतु ॥ ५ ॥ ॥ सिद्ध.॥ नंत विंद सुइ अर्क, अर्क सुइ सुन्न पउत्तु । सुन्न सुयं सुइ उत्तु, जिनय जिन नंत अनंतु ॥ ६ ॥ ॥ सिद्ध.॥ कमल अर्क सुइ अर्क, अर्क सुइ इस्ट पउत्तु । इस्ट अर्क इस्टंतु, उवन पऊ उवन स उत्तु ॥ ७ ॥ ॥ सिद्ध.॥ पदम कमल सुइ अर्क, अर्क जिन अर्क पउत्तु । विंद अर्क उववन्न, अर्क सुइ विंद अनंतु ॥ ८ ॥ ॥ सिद्ध.॥ विंद अर्क सुइ ऊवने, कमल सब्द सुइ उत्तु । कमल विंद सुइ अर्क, अर्क जिन सब्द अनंतु ॥ ९ ॥ ॥ सिद्ध.॥ कमल अर्क सुइ ऊवने, केवल अर्क जिनुत्तु । केवल अर्क उवने, नंत चतुस्टै पउत्तु ।। १० ॥ ॥ सिद्ध.॥ (६७) पदवी फूलबा गाथा १३६१ से १३७० तक (विषय : पदवी सतक्षरी, विवान ५) पदवी न्यान चरन सम्मत्तं, रंज रमन नंद नंद जिनुत्तं । भय विनासु तं भव्वु स उत्तं, अन्मोय तरन जिनु सिद्धि सम्पत्तं ॥ १ ॥ पदवी उवन उवनु मै उवनं, उवन चरन अन्या सम रमनं । उवनु रंज रमन भय षिपनं, नंद कमल हिय कर्न सिद्धि गमनं ॥ २ ॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy