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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी भय सल्य संक विलयंतु सुभाउ, निसंक सहावे ममल सहाउ । सिद्ध सरूवे ममल पऊ ॥ न्यान विन्यानह समय संजुत्तु, सुर्य लब्धि सो लहिय संजुत्तु । न्यान अन्मोय सु मुक्ति गऊ ॥ ३४ ॥ ॥ सिद्धह.॥ श्री ममल पाहुइ जी अन्मोय सिद्ध सम समय संजुत्तु, षिपक सिद्ध तं कम्मु गलंतु । विपि कम्मु मुक्ति संभाउ समु ॥ मुक्ति सिद्ध तं सिद्ध स उत्तु, रमन सिद्ध तं अमिय संजुत्तु । सिद्ध मुक्ति संजुत्त पऊ ॥ ३१ ॥ ॥सिद्धह.॥ विन्यान विंद तं विंद संजुत्तु, न्यान विन्यान सु सिद्धि पउत्तु । सिद्धि संजोए विंद मऊ ॥ अलषु लषिय तं विंद सहाउ, वीयराउ जिन उत्त पहाउ । राउ गलिय जिनरंज मऊ ॥ ३२ ॥ ॥ सिद्धह.॥ सिद्ध पउत्तउ राग गलंतु, जनरंजन राग उवन्नु विलंतु । कलरंजन दोष जु सुइ गलिऊ ॥ मनरंजन गार गलंतु सुभाउ, दर्सन मोहंध सु गलिय सहाउ । दत्तु कम्मु विलयतु सुई ॥ ३३ ॥ ॥ सिद्धह.॥ (६६) फाग फूलना गाथा १३४८ से १३६० तक (विषय : अर्क छत्तीस) जिन जिनयति जिनय जिनय पऊ, ___जिन जिनयति जिनय जिनेन्दु । उव उवन हिययार उवन पऊ, सहयार सिद्धि सम्पत्तु ॥ १ ॥ सिद्ध सरूव सुरति, तरन जिन लहि फागु । मुक्ति पंथु सुइ ऊवने, सह समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ २ ॥ ॥आचरी॥ अर्क सु अर्क सु अर्क, सुयं सुइ अर्क स उत्तु । सुयं सुइ अर्क ऊवने, अर्क विंद संजुत्तु ॥ ३ ॥ ॥ सिद्ध.॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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