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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी सहयार दिस्टि तं अमिय संजुत्तु, हिय सहाउ उववन्न संजुत्तु । उव उवन सहाउ सहयार मऊ ॥ सहयारह तं उवन सहाउ, अमिय दिस्टि विष गलिय सुभाउ । उव उवन सहावे मुक्ति पऊ ॥ २५ ॥ ॥ सिद्धह.॥ सिद्ध सरूवह पत्तु स उत्तु, . विक्त रूव उवएसु अनंतु ।। उव उवन देइ हिययारू लै ॥ सक्ति सरूवे दत्त सहाउ, न्यान ऊवनऊ समय सुभाउ । अन्मोय दत्तु तं मुक्ति पऊ ॥ २६ ॥ ॥सिद्धह.॥ पत्तु उवनऊ उवन संजुत्तु, दत्तु उवनऊ है समय संजुत्तु । दत्त पत्त सम भाउ मऊ ॥ कमलह कमल सहाउ पउत्तु, समय अन्मोय सु समय संजुत्तु । अन्मोय समय सम सिद्धि पऊ ॥ २७ ॥ ॥ सिद्धह.॥ उव उवनु तिअर्थह अर्थ संजुत्तु, अर्थ समर्थह ममलु मुनंतु । ममल सहावे सिद्धि पऊ ॥ अर्थ उवनऊ अर्थ समथु, अर्थ सिद्ध सर्वार्थ समिद्ध । समर्थ सिद्ध तं जिन भनिऊ ॥ २८ ॥ ॥सिद्धह.॥ अंग अर्थ सम अर्थ सम्पत्तु, दिस्टि अर्थ सहयार समथु । अर्थ सिद्ध सम सिद्ध मऊ ॥ सहयार अर्थ सम समय संजुत्तु, अवयास अर्थ तं नंतानंतु । अन्मोय अर्थ तं ममल पऊ ॥ २९ ॥ ॥ सिद्धह.॥ उत्पन्न सिद्ध हिययार संजुत्तु, सहयार सिद्ध तं नंतानंतु । उक्त सिद्ध जिन उत्त पऊ ॥ परिनै सिद्ध प्रमान सु सिद्ध, समय सिद्ध सहयार समिछु । अवयास सिद्ध जिन नंत मऊ ॥ ३० ॥ ॥ सिद्धह.॥ (२५१)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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