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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी अन्मोय न्यान तं कमल संजुत्तु, पिपियो कम्मु अनंतु विलंतु । कमल सहावे मुक्ति पऊ ॥ मुक्ति संजुत्तऊ सिद्ध सहाउ, हितमित परिनै ममल सुभाउ । कमल सहाउ सु सिद्धि पऊ ॥ १९ ॥ । सिद्धह.॥ कमलह कलियौ रमन रवंतु, रमन सहावे लंकृत जुत्तु । विन्यान वीय तं मुक्ति पऊ ॥ समय मुक्ति तं ममल सुभाउ, नंतानंत सु न्यान सहाउ । न्यान विद्धि विन्यान पऊ ॥ २० ॥ ॥सिद्धह.॥ कमल पउत्तउ नंत प्रकारं, आयरनह तं ममल अपारं । न्यान अन्मोय सु नंत पऊ ॥ अन्मोय सहावे षिपक पउत्तु, नंतानंत सु कम्मु गलंतु । अन्मोय सहावे मुक्ति पऊ ॥ २१ ॥ ॥ सिद्धह.॥ उवनउ उवनउ उवन स उत्तु, भय षिपनिक है भब्वु स उत्तु । भय विलयंतउ ममल पऊ ॥ सुभाव सहावह भय विलयंतु, ___ मन भय गलिय सु नंतानंतु । __ भय विनासु भवु जु मुनहु ॥ २२ ॥ ॥सिद्धह.॥ अमिय दिस्टि तं भय विलयंतु, दिस्टिहि भय उववन्न गलंतु । __ झड़प गलिय विन्यान पऊ ॥ भय विलयंतउ उवन सहाउ, उवनउ न्यान विन्यान सुभाउ । उवनउ अर्थ तिअर्थ हई ॥ २३ ॥ ॥ सिद्धह.॥ उव उवन दिस्टि हितकार संजुत्तु, सहयार समय तं नंतानंतु । हिययार दिस्टि तं उवन मऊ ॥ हिययारह सहयार संजुत्तु, साहियउ न्यान विन्यान संजुत्तु । हियइ दिस्टि तं उवन मऊ ॥ २४ ॥ ॥ सिद्धह.॥ (२५०)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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