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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी कमलह कलियौ हो कमल सरूवे जिनु हो, चौसठि चमर जिन चरन मऊ ॥ ७ ॥ षट् कमलह सहियौ अर्थति अर्थ जु हो, तं अर्क विंद रस रमन पऊ । तं अर्क उवनौ हो अर्क रमन जिनु हो, ऐ विंद विन्यान सु कमल मऊ ॥ ८ ॥ तं ममलह ममलह कमल रमन जिनु हो, ऐ अर्क विंद रस रमन पऊ । तं सहज रमन रस विंद रमन जिनु हो, सिहु समय संजुत्तु तरन जिन मुक्ति जयं ॥ ९ ॥ श्री ममल पाहुइ जी उव उवनौ हो उवन हिययार संजुत्तु जु हो, हुवयार विंद रस रमन पऊ । उव उवनौ हो सुइ सहयार स उत्तु जु हो, कमल रमन रस समय मऊ ॥ २ ॥ समय स उत्तउ सम समय रमन जिनु हो, ऐ समय कमल रस विंद मऊ । रमि रमियौ हो अमिय रमन जिनु उत्तु जु हो, ऐ रमियौ कमलह सिद्ध पऊ ॥ ३ ॥ षिपि षिपियौ हो सुयं षिपक जिनु उत्तु जु हो, सुयं षिपिय सुइ धुव रमनु । सुइ सुर्य अस्कंधह सुयं ममल जिनु हो, __कुन्यान विलय सुइ जिनय जिनु ॥ ४ ॥ पय पयं पउत्तऊ हो सुयं परम जिनु हो, उव उवन सहावे न्यानी सहज जिनु । सुइ सहज सरूवे हो चेय चेयन जिनु हो, चेयन सहियो समय जिनु ॥ ५ ॥ अस्थानह सहियौ सहज रमन जिनु हो, __ आयरन परम जिनु परम पऊ । तं विंद रमन रस कमल रमन जिनु हो, जिन जिनियौ कम्मु अनंतु सुई ॥ ६ ॥ तं गुप्तिह हो गुप्तिह गुहिज रमन जिनु हो, अर्क विंद जिनु कमल जिनु । (६४) न्यान रमन फूलना गाथा १३०३ से १३१३ तक (विषय : विवान-१, अर्थ-३, हितकार सोलही) जिन जिनयति न्यान सहाई जिनु हो, अन्मोय न्यान जिन उत्तु । तं न्यान अन्मोए विंद रमन जिनु, तं कमल रमन सिव संतु ॥ १ ॥ सहज जिन न्यान रमन मुझु भावेगौ, दिपि दिप्ति दिस्टि पिउ सब्द विंद रै । अन्मोय तरन सिद्धि पावै हो, ___मा मुझु न्यान रमन जिन भावेगौ ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ (२४५
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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