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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
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श्री ममल पाहुइ जी जिन सहजनंद ससहाउ लई, जिन परमनंद परमिस्टि, परम जिन ॥ ३३ ॥
॥ हिय.॥ जिन नंदह नंद सनंद जिनु, जिन जिनयति कम्म सहाउ, जिनय जिन ॥ ३४ ॥
॥ हिय.॥ जिन षिपक सरूवे षिपक मउ, विपि कम्मु सिद्धि सम्पत्तु, परम जिन ॥ ३५ ॥
॥ हिय. ॥ विन्यान वीय वाछिल्ल रऊ, तं न्यान वृति पिच्छंतु, ममल जिन ॥ ३६ ॥
॥हिय. ॥ तं ममलह ममल जिनुत्तु पउ,
आगंतु रमन सिद्धि रत्तु, सुर्य जिन ॥ ३७ ॥
तं ममल सुभाउ सु परम पउ, तं अर्थति अर्थह भेउ, अमिय जिन ॥ ४० ॥
॥हिय. ॥ परमप्पय सहियौ परम पउ, तं चेयन नंद सनंद, परम जिन ॥ ४१ ॥
॥ हिय. ॥ जिन सिद्ध मुक्ति ससहाउ मउ, अन्मोय सहाउ स लीनु, सहज जिन ॥ ४२ ॥
॥ हिय. ॥ तं तारन तरनह समय मउ, सुइ समय सिद्धि सम्पत्तु, सिद्ध जिन ॥ ४३ ॥
॥ हिय. ॥
॥ हिय. ॥
भय षिपिय भव्वु तं मुक्ति पउ, तं अमिय रमन संजुत्तु, जिनय जिन ॥ ३८ ॥
॥हिय. ॥ तं नंद आनंदह परम पर, जिन जिनयति जिन उवएसु, सहज जिन ॥ ३९ ॥
॥ हिय. ॥
(६३) उबम बिंद एस बधाऊ फूलना
गाथा १२९४ से १३०२ तक
(विषय : विपक सोलही) उव उवनौ हो उवन विंद रस उत्तु जु हो,
उव उवनु कमल रस ममल पऊ । उव उवनी हो तारन तरन स उत्तु जु हो,
कमल विंद रस परम पऊ ॥
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(२४४)