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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी तं अस्तिति रमनह रयन पउ, तं अस्तिति सिद्ध सरूव, अलष जिन ॥ १९ ॥ ॥हिय. ॥ तं वाछिल विनय संजुत्तु पउ, विन्यान न्यान दर्सतु, सुयं जिन ॥ २० ॥ ॥ हिय. ॥ तं परम तत्तु तं परम जिनु, सुइ भद्र भाउ उवलद्धि, जिनय जिन ॥ २१ ॥ ॥हिय. ॥ तं सिद्ध सहाउ स उत्तु जिनु, जिन हितमित परिनइ जुत्तु, नंद जिन ॥ २२ ॥ ॥हिय. ॥ तं चेयन नंदह नंद मउ, तं सहजनंद ससरूव, जिनय जिन ॥हिय. ॥ तं लष्यन लषियौ अलष पउ, तं लषियौ जिन उवएसु, सहज जिन ॥ २४ ॥ ॥ हिय. ॥ तं कमल कन्द जिन उत्त मउ, परिनामू नंतानंत, सुकिय जिन ॥ २५ ॥ ॥ हिय.॥ सौ एकु अट्ठ तं ममल पउ, तं समल कम्मु विलयंतु, परम जिन ॥ २६ ॥ ॥ हिय. ॥ तं विजन रमनह रयन पउ, सुर रमनह सिद्ध सरूव, जिनय जिन ॥ २७ ॥ ॥ हिय. ॥ तं कमल गिरा जिन उत्त समू, तं चौसठि चरन चरंतु, ममल जिन ॥ २८ ॥ ॥ हिय. ॥ तं परम अमिय रस परम पऊ, तं कमल कलिय जिन उत्तु, सुर्य जिन ॥ २९ ॥ ॥हिय. ॥ जं कमलह कलियौ उत्तु जिनु, तं कलियौ अंगदिगन्त, सहज जिन ॥ ३० ॥ ॥ हिय. ॥ सम अर्थह समय संजुत्तु सुइ, भय षिपिय भव्वु जिन उत्तु, समय जिन ॥ ३१ ॥ ॥ हिय. ॥ जिन जिनय समय तं सहज जिनु, जिन नंद अनंद स उत्तु, अलष जिन ॥ ३२ ॥ ॥ हिय. ॥ = = = = = (२४३)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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