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श्री ममल पाहुइ जी अचष्य दिस्टि जिन रमनं, रमनं जिन उवन अनष्यरं रमनं । रमन कर्न हिययार, कर्न हिय उवन कमल कलनं च ॥ ७ ॥ अचष्य सुभाव जिनुत्तं, अचष्यं सहकार अवहि सुइ दर्स । अवहि उवन निहि भनियं, उव उवनं साहि कर्न सुइ कमलं ॥ ८ ॥ अवहि दर्स जिन दर्स, गुपितं सह सहज गुहिज उव रमनं । गुहिज गुप्ति गुरु गुरुवं, सहियं सुइ कर्न कमल अवयासं ॥ ९ ॥ अवहि उवन निहि उत्तं, उत्तं सुइ सुवन उवन जिननाहं । जिननाह दिस्टि सुइ रमनं, सहियं सुइ कमल विंद कन च ॥ १० ॥ अवहि दिस्टि जिन रमनं, अवहि सहावेन केवलं उवनं । केवल ममल सहावं, उव उवनं सुइ कमल कर्न सुइ समयं ॥ ११ ॥ केवल कलन उवन्नं, कलनं सुइ चरन चरन जिन उत्तं । उत्पन्न साहि सुइ कमलं, कमलं सुइ उवन केवलं कर्न ॥ १२ ॥ दिस्टि विवान स उत्तं, उत्तं सुइ ममल केवलं न्यानं । दसति नंत नंतं, दर्स सुइ समय कर्न कमलं च ॥ १३ ॥ केवल दर्सन सहियं, दिस्टि सुइ समय जिनेन्द विंदानं । जिन उवनं जिन उत्तं, समयं सुइ कर्न कमल निर्वानं ॥ १४ ॥ कर्न उवन सुइ उवनं, उवनं सुइ सब्द उवन जिन उत्तं ।। जिन उत्त समय सुइ कर्न, कर्न सुइ कमल केवलं न्यानं ॥ १५ ॥ सब्दं नंत उवन्नं, सब्द सुइ ममल साहियं कर्न । ममल उवन सुइ रमनं, साहिय सुइ ममल केवलं न्यानं ॥ १६ ॥ सब्द साहि सुइ सुवन, सब्द सुइ सरनि नंत विलयंति । न्यान सब्द सम सवनं, साहिय सुइ कलन कमल निर्वानं ॥ १७ ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी न्यान विवान स उत्तं, सब्दं सुइ ममल कर्न सुइ रमनं । कर्न रमन जिन उत्तं, साहिय सुइ कलन कमल निर्वानं ॥ १८ ॥ न्यानं न्यान स उत्तं, सब्दं जिन समय सुवन सुइ कन । सब्द समय सुइ ममलं, साहिय सुइ कलन कमल निर्वानं ॥ १९ ॥ सब्द सहाव स उत्तं, सब्दं सुइ ममल न्यान जिन रमनं । रमन कर्न सुइ ममलं, साहिय सुइ कलन कमल निर्वानं ॥ २० ॥ सब्द हिययार उवन्नं, हिययारं तं उवन हुवयार जिन उत्तं । जिन उत्त कर्न हिय हुवयं, साहिय सुइ कलन कमल निर्वानं ॥ २१ ॥ सब्द सयन विवानं, सब्दं हिय उव हुव नंत सुइ रमनं । रमन समय सुई कन, साहिय सुइ कलन कमल निर्वानं ॥ २२ ॥ हिय हुव उवन सहावं, उवनं सुइ सरनि कम्म विलयंति । जिन उत्त कर्न हिय हुवनं, साहिय सुइ कलन कमल निर्वानं ॥ २३ ॥ उव उवनं उवन सहावं, उवनं अवयास नंत सुइ ममलं । नंतानंत सु ममलं, साहिय सुइकलन कमल निर्वानं ॥ २४ ।। दिप्ति सब्द सुइ उवनं, उवनं कमलं च साहि अवयासं । विवान साहि अवयासं, विवानं अवयास साहियं कमलं ॥ २५ ॥ जं विवान उवन्न, उव उवनं नंत ममल सुइ रमनं । जिन उत्त साहि सुइ कर्न, उवनं सुइ साहि कमल निर्वानं ॥ २६ ।। जं जं उवन सहावं, उवनं सुइ अर्क जिन अर्क ममलं च । अर्क उत्त जिन अर्क, उवनं सुइ साहि कमल निर्वानं ॥ २७ ॥ उव उवनं नंत विसेषं, नंतानंतं च ममल उवनं च । ममल रमन सुइ कर्न, उवनं सुइ साहि कमल निर्वानं ॥ २८ ॥
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