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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
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श्री ममल पाहुइ जी मनपर्जय जानु वसै, तव आयरना जू । रिजु विपुलह च सहाव सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ ६ ॥ परम तत्तु पद विंद है, तव आयरना जू । पद विंदह केवलु न्यानु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ ७ ॥ अंगदि अंगह समय मौ, तव आयरना जू । अर्थ समर्थ संजुत्तु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ ८ ॥ मै मूरति सर्वंग है, तव आयरना जू । ममलह ममल सहाव सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू न्यान विन्यान उवन पौ, तव आयरना जू । अन्यानह विलयंतु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ।। १० ।। सम्मत्तह सम समय मौ, तव आयरना जू । मिथ्या तिविहि गलंतु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ ११ ।। निसंक सहावे न्यान पौ, तव आयरना जू । सल्य संक विलयं सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ।। १२ ।। ससंक रहिऊ कंष्या रहिऊ, तव आयरना जू । व्रिति रहियौ न्यान सहाउ सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ १३ ॥ मूढ़ दिस्टि है सर्व गली, तव आयरना जू । अमूढ दिस्टि सहकार सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ १४ ॥ न्यानी दोषु न पिच्छई, तव आयरना जू । अन्यान उनु गलंतु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ १५ ॥ उवगोहनु अंग जिनुत्तु है, तव आयरना जू । न्यानी दोषु गलंतु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ १६ ॥
अस्तितिकरनु जिनुत्तु है, तव आयरना जू । अस्तिति न्यान सरूव सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ १७ ॥ वाछिलु विन्यानह सहिऊ, तव आयरना जू । न्यान विन्यान संजुत्तु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ १८ ॥ परम तत्तु पद विंद है, तव आयरना जू । परम न्यान संजुत्तु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू दर्सन अंग स उत्तु जिनु, तव आयरना जू । तिविहि कम्मु विलयंतु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ २० ॥ न्यान सहावे दर्सियऊ, तव आयरना जू । अन्यान दिस्टि विलयंतु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ २१ ॥ दर्सन दर्सिउ न्यान मौ, तव आयरना जू । चष्य अचष्यह भेउ सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ।। २२ ।। चष्यह दर्सिउ समय मौ, तव आयरना जू । समयह लोय अलोय सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ २३ ॥ अचष्यह सब्द सहाउ लै, तव आयरना जू । सब्द वियार संजुत्तु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ २४ ॥ ममल सहावे दर्सियऊ, तव आयरना जू । समल कम्मु विलयंतु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ २५ ॥ अवहिहि दर्सिऊ गुपित रुई, तव आयरना जू । गुपित न्यान विन्यान सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ २६ ॥ गुहिजह गुपित उवन पौ, तव आयरना जू । गुप्ति कम्मु विलयंतु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ २७ ॥
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(२२८)