SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 227
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी परिनामु अलष्य लषियं, तं तिविहि कम्मु षिपियं ॥ ९ ॥ ॥स न्यानी.॥ सिरी नंद नंद सुरयं, तं सहजनंद रमनं ॥ १० ॥ ॥ स न्यानी. ॥ पर परमनंद जिनुत्तं, तं सिद्धि मुक्ति विलसं ॥ ११ ॥ ॥ स न्यानी.॥ श्री ममल पाहुइ जी (१३) सन्यानी मुक्ति पऊ फूलना गाथा १०६५ से १०७५ तक (विषय : लक्षण परिणाम) उववंन उवन ममलं, तं न्यान रमन सुरयं । स न्यानी मुक्ति पऊ ॥ १ ॥ जिननाथ रमन मिलनं, तं अमिय कमल रमनं । स न्यानी मुक्ति पऊ ॥ भय षिपिय मुक्ति मिलनं, स न्यानी मुक्ति पऊ ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ उर्वकार ऊर्ध गमनं, विन्यान विंद ममलं ॥ ३ ॥ ॥स न्यानी.॥ तं विंद सहज सुरयं, तं नंत कम्मु विलयं ॥ ४ ॥ ॥स न्यानी.॥ उववन्न कमल सुरयं, सिरी कमल सिद्धि रमनं ॥ ५ ॥ ॥स न्यानी.॥ तं कमल कंद भवनं, परिनामु नंत ममलं ॥ ६ ॥ ॥स न्यानी.॥ सौ एक अट्ठ उवनं, तं कंद सहज मिलनं ॥ ७ ॥ ॥ स न्यानी.॥ तं अन कमल कलनं, चौसठि चरन मिलनं ॥ ८ ॥ ॥ स न्यानी.॥ = (१४) जिनवर उत्तो न्यानीय फूलना गाथा १०७६ से ११०८ तक (विषय ज्ञान-५, सम्यकदर्शन के अंग-८, दर्शन के भेद -४) जिनवर उत्तउ न्यानीया, तव आयरना जू । न्यान विन्यानह भेऊ सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ १ ॥ अर्थति अर्थह आयरो, तव आयरना जू । षट् कमलह संभाउ सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ २ ॥ पंच दिप्ति परमिस्टि मऊ, तव आयरना जू । अर्थ समर्थ संजुत्तु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ।। ३ मति कमलासन कंठ है, तव आयरना जू । हिरदै मृति उर्वनु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ ४ गुहजहि अवहि उवन पौ, तव आयरना जू । गुपितह गुर उवएस सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ ५ ॥ = = = = (२२७)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy