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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी न्यान दिस्टि विन्यान मौ, तव आयरना जू । अन्यान दिस्टि विलयंतु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ २८ ॥ जानु उपजै जान पौ, तव आयरना जू । मन पर्जय न्यान सहाउ सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ २९ ॥ रिजु विपुलह संजुत्तु है, तव आयरना जू । परम न्यान संजुत्तु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ।। ममलह ममल उवन पौ, तव आयरना जू । समल कम्मु विलयंतु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ ३१ ॥ केवल दिस्टिहि ममल पौ, तव आयरना जू । भय विनासु सो भव्वु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ ३२ ॥ न्यान विन्यानह समय मौ, तव आयरना जू । भव्वु मुक्ति सम्पत्तु सर्व नै, न्यानीया तव आयरना जू ॥ ३३ ॥
सब्द सहाव अनन्तं, कर्न आकिर्न न्यान सुइ समयं । कर्न समय सुइ कलनं, अवयासं कमल उवन सिद्धानं ॥ ४ ॥ सब्दं रसनि अनंत, रसियं सुइ कर्न न्यान पिय रमनं । कर्न पियं सुइ कलनं, कलनं सुइ कमल उवन सिद्धानं ॥ ५ ॥ सब्दं कसनि अनेयं, कसियं सुइ कर्न न्यान पिय रमनं । कर्न पियं सुइ कलनं, कलनं सुइ कमल उवन निर्वानं ॥ ६ ॥ सब्दं तंति अलष्यं, लषियं सुइ कर्न कलन अन्मोयं । अन्मोय कलन सुइ कमलं, कमलं अन्मोय न्यान निर्वानं ॥ ७ ॥ सब्दं तार सु तरलं, कलनं सुइ कर्न रमन तत्काल । रमन कर्न सुइ कलनं, कलनं सुइ कमल न्यान निर्वानं ॥ ८ ॥ सब्दं फूंक सु गमनं, गमनं सुइ अगम गमिय सइ कन । अस्फटिक न्यान सुइ कलनं, कलनं अन्मोय कमल निर्वानं ॥ ९ ॥ सब्दं असब्द उवनं, असब्द सुइ सब्द न्यान सुइ कन । कर्न अन्मोय सु कलनं, कलनं अन्मोय कमल निर्वानं ॥ १० ॥ सब्द सब्द सुइ सब्द, सब्दं सुइ उवन सुवन सइ कन । कर्न न्यान अन्मोयं, कर्न अन्मोय कमल निर्वानं ॥ ११ ॥ सब्द प्रियो जिन उत्तं, प्रियो सुइ सब्द नंत अन्मोयं । अन्मोय कर्न सुइ कमलं, कमलं अन्मोय न्यान निर्वानं ॥ १२ ॥ सब्द सरस सहावं, सरस सहावेन सब्द प्रिय कर्न । कर्न पियं सिय चरनं, चरनं सिय कमल सब्द निर्वानं ॥ १३ ॥ सर सब्दं सुइ उवनं, उवनं सर सब्द कर्न सुइ रमनं । कर्न रमन सुइ कलनं, कलनं सुइ रमन कमल निर्वानं ॥ १४ ॥
(44) सब्द प्रियो विवान गाथा
गाथा ११०९ से ११३३ तक
(विषय ! आकर्न के विषय-७, सर-७) सब्द प्रियो जिन उत्तं, सब्द सुइ उवन कलन कमलं च । सब्द कमल उव उवनं, प्रियो सुइ सवन सुवन आकीनं ॥ १ ॥ सब्द अनंत विसेषं, नंतानंतं च सरनि सुइ उवनं । कर्न सुयं सुइ विलयं, विलयं सुइ कमल कम्म विलयंति ॥ २ ॥ सब्द उववन्न सहावं, उवनं सुइ कमल न्यान उव उवनं । उवन सुवन सुइ कन, कर्न सुइ कमल उवन निर्वानं ॥ ३ ॥