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श्री ममल पाहुइ जी नो लब्धि उर्वन उर्वन सु,
उवन उवन सु जिनय पऊ । तं लब्धि अनंतानंत सहज रुई,
सहज जिनेन्द सनंद पऊ ॥ सुइ नंद सनंद अनंद सु नंद,
सु चेयननंद सु समय मऊ । न्यानीय सु न्यान अनंत ममल, जिन जिनय जिनेन्द स सेहरौ ॥ ७ ॥
॥गमऊगम.॥ संजम सुइ संजमु सुवन सुवन,
सुव संजम समय सु सुद्ध पऊ । संजम संजम सुनहु सुर्य सुइ,
सुद्ध स सुद्ध सु समय मऊ ॥ गति गम्य अगम्य अनंत,
सुसुद्ध सुयं सुइ ममल विन्यान स सेहरौ । न्यानीय सुनीय सुनीय, सुयं सुइ ममल विन्यान स सेहरौ ॥ ८ ॥
॥गमऊ गम.॥ कषाय अपाय कषाय जिनय,
जिन जिनय जिनेन्द पऊ । तं लिंगु अलिंगु सु लिंगु,
सुयं जिन लिंग स लिंग सु जिनय पऊ ॥ मिथ्यात सहाव सरूव सुयं,
सुइ विलय सुर्य जिन सुर्य रऊ ।
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी न्यानीय निवासु अवयासु, सु नंत सु नंत सुयं जिन सेहरौ ॥ ९ ॥
॥गमऊ गम.॥ न्यानेन न्यान विन्यान सु न्यान सु न्यान,
सु न्यान सु ममलु सु ममल पऊ । तं सिद्ध सरूव सरूव सुर्य सुइ,
रूव अरूव सु मुक्ति पऊ ॥ सुइ तारन तरन विवान,
विवान समय सह सहइ रऊ । न्यानीय सुनीय सु निर्त, निलय जिन जिनय सिद्ध जिन सेहरौ ॥ १० ॥
॥गमऊ गम.॥
(११) बंद आनंदह फूलना गाथा १०२६ से १०३८ तक
(विषय : पांच अर्थ की महिमा) नंद आनंदह नंदह पूरिउ, चिदानंद जिन उत्तं । सहजनंद तं सहज सरूवे, परमनंद सिद्धि रत्तं ॥ १ ॥ भवियन भय षिपिय मुक्ति संमिलिज,
तं अमिय रमन सिद्धि रमिजै । भवियन तं ममल भाव सिद्धि रमिजै,
तं धम्म रमन सिव लहिजै ॥ भवियन तं अमिय रमन सिद्धि रमिजै ॥ २ ॥
॥ आचरी॥
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