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श्री ममल पाहुइ जी
(40) सेहरी फूलना
गाथा १०१६ से १०२५ तक
(विषय : नंद-१, लब्धि-१, सिध्द की महिमा) उव उवनऊ उवन उवन उवन मौ उवन पऊ । उव उवनऊ नंतानंतु अलष जिन नंद मऊ ॥ तं नंद अनन्द सनंद नंद गम अगम रऊ ॥ १ ॥ न्यानीय न्यान उववन्न अगम जिन जिनय जिनेंद स सेहरौ । तं गम्य अगम्य अगम्य उवन्नु जिनय जिन सेहरा ॥ तं गमियौ नंतानंतु ममल जिन सेहरौ । भय षिपनिक नंद अनंद चेयनंद सेहरौ ॥ तं अमिय रमन रस रसिय सहज जिन सेहरौ ॥ २ ॥ जिनवर उत्तउ जिनय जिनेन्द जिनय जिन नंद मऊ । तं लब्धि अलब्धि सलब्धि जिनय जिन जिनय सनंद पऊ ॥ तं न्यान स न्यान सु न्यान विन्यान ममल रस सुष्य रऊ । न्यानीय सुर्य सुववन्न जिनय जिन जिनय जिनंद स सेहरौ । गमऊ गम्य अगम्य उवनु जिनु जिनय जिन सेहरौ ॥ ३ ॥
॥ आचरी॥ तं न्यान लब्धि सुइ लब्धि सुयं,
सुव सुवन सुयं जिन न्यान पऊ ।
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी तं दर्सिउ नंतानंतु सहज जिन,
लब्धि अलब्धि सुलब्धि मऊ ॥ तं दान सु दान सु न्यान सुयं,
जिन जिनय जिनय जिनेंद रऊ । न्यानीय निलय तं निलय निलय, जिन जिनय जिनेंद स सेहरौ ॥ ४ ॥
॥गमऊ गम.॥ तं लब्धि अलब्धि सु लब्धि लब्धि जिन,
जिनय जिनेंद सनंद सनंद सनंद मऊ । तं भोय सु भोय अभोय भोय गुन,
जिनय जिनेंद सनंद सनंद पऊ ॥ उवभोय सुभोय अभोय भोग रै,
नंद सनंद जिन सेहरौ । न्यानीय सुनीय सुनीय सुयं, सुई सहज जिनेंद स सेहरौ ॥ ५ ॥
|| गमऊगम.॥ नंत वीय सुइ लब्धि सु लब्धि,
सुयं सुव वीय सु नंतानंत पऊ । सम्मत्त सम्मत्त स उत्तु सु समय,
सुयं जिन जिनय जिनेंद पऊ ॥ तं चरनह चरिय चरंतु,
चरन जिन जिनय जिनेंद रऊ । न्यानीय सु निलय जिनेन्द, जिनय जिन सहज जिनेन्द स सेहरौ ॥ ६ ॥
॥ गमऊगम.॥
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