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श्री ममल पाहुइ जी तं उवएसिउ ममल सहावे हो,
तत्काल उवन उत्तर कहिऊ । परम देउ परमान सु सहियउ,
परम उवनउ देउ पऊ ॥ ५ ॥ जिनवर जिनियौ कम्मु अनंतु जु हो,
चेयन नंद सु समय मऊ । परम जिनेन्दह सूष्यम जिनियौ,
मर्म कम्म जिनि ममल पऊ ॥ ६ ॥ परम गुरह परमध्यरु उत्तउ,
परम गुपित सिव सिद्धि पऊ । परम धम्म परम पय सहियौ,
तिविहि कम्मु तं सुइ गलिऊ ॥ ७ ॥ तत्तु जिनेन्दह उत्त समय हो,
तत्काल उवंनऊ न्यान मऊ । जं जं समइ हो पुछिऊ भवियन,
तं तं उवनऊ ममल मऊ ॥ ८ ॥ तत्तु तत्तु सवु लोय स उत्तउ,
तत्तु भेउ नवि जानियऊ । भय विनासु तं भवु जु कहियऊ,
तत्तु भेउ गुरु जानियऊ ॥ ९ ॥ तत्काल उवंनउ तत्तु जु जानहु,
नंतानंत सु न्यान मऊ। न्यान विन्यानह विमल सु निर्मल,
तत्काल उवंनउ तत्तु मुनी ॥ १० ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी परम तत्तु परमप्पा हो उत्तर,
परम न्यान उत्पन्न समऊ । परमानंदह परम सुभाउवि,
___परम तत्तु परमिस्टि मऊ ॥ ११ ॥ अन्मोय विरोह विजानहु भवियन,
कम्मु कलंक स उत्तियउ । कम्म भाउ कम्मान स उत्तउ,
न्यान अन्मोयह विलय गऊ ॥ १२ ॥ जं पुनु कम्मु अनंतु भमाये हो,
जनरंजन राग जु ऊपजिऊ । कलरंजन दोष जु गारव सहियऊ,
__न्यान अन्मोयह गलि गयऊ ॥ १३ ॥ मनरंजन गारव कम्मु स दिट्ठउ,
दर्सन मोहे अंध तु हूं। न्यान विन्यानह उवसम सहियउ,
कम्मु विलय सो मुक्ति गऊ ॥ १४ ॥ जं पुनु कम्मह भेउ न जानिउ,
अन्यान सरूवे ब्रिद्धियऊ । मिथ्या मय सो सल्यह सहियौ,
न्यान अन्मोयह गलि गयऊ ॥ १५ ॥ पर पर्जावह दिट्ठि जु सहियउ,
पर पर्जय रत्तउ मूढ़ मई ।
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