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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
सुइ तारन तरन सहाउ लै विजौरोदे,
सुइ समय सु मुक्ति पहुंतु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ ३० ॥
श्री ममल पाहुइ जी रुचि प्रियौ दिप्ति सुइ नंद जिनु विजौरोदे,
तं क्रांति हो हरसि जिनुत्तु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ २३ ॥ कमल उत्पन्न सुइ दिप्ति मौ विजौरोदे,
तं क्रांति हो कलन सुभाउ ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ २४ ॥ रमन कमल सुइ दिप्ति पौ विजौरोदे,
तत्कालह हो मुक्ति सुभाउ ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ २५ ॥ रमन कमल उत्पन्न मौ विजौरोदे.
उत्पन्नह हो दिप्ति विन्यान ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ २६ ॥ सहकार रमन तं नंत मुनि विजौरोदे,
हर हरसिउ हो जिनय जिनेन्दु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ २७ ॥ सहज सुभावे परिनवै विजौरोदे,
तं सहजे हो परमानंदु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ २८ ॥ दिपि दिप्ति दिप्ति उत्पन्न मौ विजौरोदे,
दिपि दिपियौ हो हरसि अनंदु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ २९ ॥
(४८) बड़ो बधाऊ फूलना
गाथा ९६६ से ९८६ तक (विषय : देव,गुरू, धर्म, जिन, परम जिन की महिमा, सक सुभाव, संज्ञा-४) उव उवनौ हो समय न्यान विन्यान हो,
सुद्ध सरूवे सु समय मऊ। सम समय सउत्तउ अर्थति अर्थह हो,
पंच दिप्ति परमिस्टि मऊ॥१॥ परमिस्टिहि सहियउ सुद्ध सरूवे हो,
ममलह ममल सहाउ मऊ।। जिनवर उत्तउ सुद्ध सचेयनु,
सुद्ध न्यान संसुद्ध पऊ ॥ २ ॥ देव उवंनउ हो दाता हो उत्तउ,
न्यान विन्यानह ममल पऊ । गुरु गुपितह रुचियौ दिट्ठउ दाता हो,
न्यान सरूवे सु सुद्ध पऊ ॥ ३ ॥ धम्म जु उत्तउ चेयन सहियउ,
दर्सन दिस्टि सु ममल पऊ । दर्सन दरसिउ लोय अलोयवि,
दर्सिउ अर्थह मल रहिउ ॥ ४ ॥
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