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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी सुइ कोड उर्वनउ नंद मौ विजौरोदे,
सुइ नंद दिप्ति संजुत्तु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ ९ ॥ सुइ कोड उर्वनउ उवन पौ विजौरोदे,
हर हरसिउ हो दिप्ति संजुत्तु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ १० ॥ जं कोड उवनउ जिनय जिनु विजौरोदे,
तं सुयं लब्धि संजुत्तु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ ११ ॥ सुयं लब्धि नौ उत्तु जिनु विजौरोदे,
तं लब्धि हो परमानंद ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ।। १२ ।। दिपि दिप्ति उवनउ न्यान मौ विजौरोदे,
दिपि दिपियो हो नंत अनंतु ।
___तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ १३ ॥ दिपिय गमन सुइ नंत मौ विजौरोदे,
दिपि दिपियो हो गम्य अगम्य ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ १४ ॥ सुयं रमन सुइ दिप्ति मौ विजौरोदे, हिययारह हो हरसि संजुत्तु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ १५ ॥
हिययार दिप्ति तं रमन पऊ विजौरोदे, ___ हिय हरसिउ हो हरसि जिनंदु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ १६ ॥ तं क्रांति उवनी दिप्ति मौ विजौरोदे,
दिपि दिपियो हो हरसि विन्यान ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ १७ ॥ तं दिप्ति सित सांति मई विजौरोदे,
हिययारह हो हरसि जिनेन्दु ।
___ तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ १८ ॥ सुइ सित सांति जिन दिप्ति मौ विजौरोदे..
उत्पन्नह हो हरसि विन्यान ।
___ तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ १९ ॥ न्यान रमन सुइ दिप्ति मौ विजौरोदे.
हुव हिय हरसि अनंदु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ २० ॥ तं न्यान अर्क सुइ दिप्ति मौ विजौरोदे,
तं अर्क विन्यान जिनुत्तु ।
___ तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ २१ ॥ सुर्य रमन सुइ नंद मौ विजौरोदे,
तं सुयं हरसि जिन उत्तु ।
तरन विवान सु मुक्ति पौ विजौरोदे ॥ २२ ॥
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