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श्री ममल पाहुड़ जी
भय विलयं नंत न्यान परिनै सुई,
परिनै भौह सुइ ममल सुयं ।
सुह गम्य रमन तं नंत नंत जिनु,
सूष्यम सुइ षिपिय मुक्ति संमिलियं ॥ ॥
अर्थति अर्थ भी हरिय ममल मौ, परिनामु षिपक ममल सुइ षिपनिक,
ममल बुद्धि नौ भय विलयं ।
सुह गम्य रमन सिद्धि मिलियं ॥
सूष्यम परिनवै नौ भौह भय विलयं, झड़प गलिय भी सुयं सहज सुई,
दिस्टि गलिय सुह गम्य रयं । परिनामु ममल मुक्ति मिलियं ॥
अर्थति अर्थह जं भौ विलयं, सूण्यम सुइ षिपिय परम जिननाह हो,
११ ॥ ॥ भवि ॥
परिनामु नंत ममल मिलियं ।
अंगदि अंगह न्यान परम पय, नंतानंत चतुस्टै परम जिनु,
१० ॥ भवि ॥
१२ ॥ ॥ भवि ॥
सुह गम्य रमन सुह सिद्धि मिलियं ॥
१३ ॥ ॥ भवि ॥
उत्तं ।
परम परम जिन सूष्यम सुइ कम्मु विलंतं ॥ १४ ॥ ॥ भवि ॥
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कमल कंद मति न्यान परम पय,
कंठ ममल तं जिन भनियं ।
सूष्यम सुइ ममल न्यान सुइ उवनं,
सुह गम्य मुक्ति तं सुइ मिलियं ।। १५ । ॥ भवि ॥
नो उत्पन्न अष्यर सुइ मिलियं,
सूष्यम परिनवै सुयं ममलं ।
भय विपनिक श्रुत न्यान सुवन सुड़,
अष्यर सुइ अंग अमिय वनं ॥ १६ ॥ ॥ भवि ॥
गुरु गुहिजह तं भौ हरनं । उलटि गिरा ऊर्ध
अवहि न्यान गुरु गुपित रुचिय सुड़,
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
सूष्यम परिनाम अषय अष्यर सुइ,
मन पर्जय तं जानु सहज सुइ,
रिजु विपुलह उस्ट इस्ट सुइ अप्यर रवनं,
अवधौ अष्यर अषय रमन सुइ,
सुयं ।
संजुत्तु सूष्यम परिनामु न्यान मिलियं ।। १८ । ॥ भवि ॥
गमनं ।। १७ ।। ॥ भवि ॥
सुह गम्यह तं परम रमन सुइ,
सूष्यम सभाव भव्वु तं रमनं ।
सुकिय सुभाव मुक्ति मिलियं ।। १९ ।। ॥ भवि ॥