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श्री ममल पाहुइ जी न्यान विन्यानह सुयं सुइ रमनं,
सुइ सूष्यम भाव कम्मु गलियं । सूष्यम सुइ नंत नंत तं रमनं, सुह गम्य रमन मुक्ति मिलियं ॥ २० ॥
॥ भवि.॥ न्यान सरूवे सहज सुभावे,
सिद्ध सरूव सुई रमिजै । सह सूष्यम परिनै परम ममल पय, सुह गम्य रमन सिद्धि जय जय ॥ २१ ॥
॥ भवि. ॥ नंद अनंदह नंद सु रमनं,
सूष्यम सुइ परमानंदं । तारन तरन सुभाउ सहज मिलि, समय जिनु परम जिनंदं ॥ २२ ॥
|| भवि. ॥ (४६) केवल दर्सन गाथा
गाथा ९१७ से ९३५ तक
(विषय : अक्षर, स्वर, व्यंजन, ४-दर्शन, ५-विमान ) चष्यं चेत सहावं, उववंनं उववंन नंत सभावं । अचष्यं नृत आयरनं, आयरनं न्यान नंत नन्ताई ॥ १ ॥ अवहि उवन उवएसं, गुपितं आयरन उवन निहि जुत्तं । तं उवन उवन निहि सहियं, उवनं मन पर्जय केवलं उत्तं ॥ २ ॥ केवल दर्सन उत्तं, केवल सुइ उवन ममल संजुत्तं । कलन कमल सुइ ममलं, कमलं आक्रिन कमल सिद्धं च ॥ ३ ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी केवल कलन सहावं, कलनं कमलस्य हेय हुव कर्न । तत्काल रमन सुइ दर्स, आक्रिनं कमल निव्वुए जन्ति ॥ ४ ॥ कलनं केवल उवनं, उवनं आक्रिन कमल उत्तं च । कमल ममल सुइ रमनं, रमनं नंत अर्क विंद सिद्धानं ॥ ५ ॥ सिय धुव सिद्ध सहावं, सिय चरनं नंत अर्क विंदानं । नंत न्यान आयरन, धुव कर्न उवन कमल सिद्धानं ॥ ६ ॥ केवल चरनं उवनं, कलन सहावेन कमल सुइ रमनं । कमल चरन आक्रिनं, धुव सिय धुव सिद्ध विंदानं ॥ ७ सिय सुइ उवन सहावं, उवन उववन्न ममल मल विलयं । कलन कमल सुइ चरनं, आक्रिनं कमल केवलं न्यानं ॥ ८ ॥ अष्यर सुर विंजनयं, पद अर्थं अर्थ ममल सह उवनं । अष्यर अषय सहावं, सुर रमनं कलन कमल सिद्धानं ॥ ९ ॥ विंजन विनय स उत्तं, विनयं विन्यान ममल उववन्नं । ममल चरन सुइ कलनं, कर्न आक्रिन कमल सिद्धानं ॥ १० केवल दर्सन उत्तं, अष्यर सुर विजन अनष्यरं जुत्तं । अर्क अर्क सुइ उवनं, अर्क आक्रिन कमल सिद्धानं ॥ ११ ॥ सिय सहाव स उत्तं, सिय नंतानंत अर्क ममलं च । ममल न्यान सुइ उवनं, साहिय सुइ कर्न कमल धुव सिद्धं ॥ १२ ॥ उव उवन उवन उव उवनं, उवनं सुइ सेनि उवन संजुत्तं । उव उवन हिययार सु ममलं, उवनं सह समय सिद्धि संपत्तं ॥ १३ ॥ अन्मोय मेनि सहयारं, साहिय सह समय कलन सिय रमनं । कलन चरन चर चरनं, दिप्ति दिस्टं च सब्द पिउ कलनं ॥ १४ ॥
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