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श्री ममल पाहुइ जी
(४१) सूषिम रासौ फूलना
गाथा ८९५ से ९१६ तक (विषया परिणाम भेद दो - लक्षण परिणाम, भी हरित परिणाम, ५ ज्ञान के ५२ अक्षर) जिन जिनवर उत्तउ सुद्ध परम जिनु,
पर परम मुक्ति दरसीजै । परम तत्तु परमष्यरु दर्सइ,
पर परम न्यान सिद्धि रमिजै ॥ १ ॥ भवियन सूष्यम सुइ कम्मु विलीजै,
सुह गम्य रमन सिद्धि लहिजै । भवियन सूष्यम सुइ कम्मु विलीजै, भय षिपिय मुक्ति संमिलिजै ॥ २ ॥
॥आचरी॥ सूष्यम सुइ षिपिय कम्मु सुइ विलियौ,
सुह गम्य रमन रस तं जिनियं । तं ममलह ममल सरूव संजुत्तउ, पर परम मुक्ति तं सुइ मिलियं ॥ ३ ॥
|| भवि.॥ परिनामू नंत नंत सुष्यम सुइ,
कमल ममल तं सुइ उवनं । तं अंगदि अंगह अर्थ अर्थ हिउ, सुइ परम परम पय सुइ भुवनं ॥ ४ ॥
॥ भवि.॥ सूष्यम सुइ मिलिय अर्थति अर्थह,
सुइ समय अर्थ ममल जिन उत्तं ।
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी कमलं तं कलिय कमल भय विलयं, सुह गम्य रमन सिद्धि तं मिलियं ॥ ५ ॥
॥ भवि. ॥ कमल कंद सौ अट्ठ ममल पौ,
कमल अग्र तं जिन वयनं । चौसठि चरन तं चरन नंत मौ, सुह गम्य रमन सिद्धि रमनं ॥ ६ ॥
॥ भवि .॥ तं कमल गिरा गिर कंद ममल पौ,
परिनाम ममल जिन उत्तु सुयं । सूष्यम सुइ ममल ममल तं उवनं, सुह गम्य रमन सुइ सिद्धि मिलियं ॥ ७ ॥
॥ भवि. ॥ गिरा अग्र सुई सूष्यम उवनं,
चरन ममल जिन उत्तु सुयं । नंतानंत सु सूष्यम ममलं, सुह गम्य मुक्ति तं सुई रमनं ॥ ८ ॥
॥ भवि. ॥ भौ हरित भौह तं भय विनासु है,
भय षिपनिक भवु स उत्तु । सहज सूषिम परिनामु नंत रै, सुह गम्य रमन सिद्धि रत्तं ॥ ९ ॥
॥ भवि.॥
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