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________________ श्री ममल पाहुइ जी अंगदि अंगह सुद्ध पर विजौरोदे, चक्र छत्र जिन उत्तु विजौरोदे । छत्र त्रय विन्यान मऊ विजौरोदे, रयन मई सिद्धि रत्तु विजौरोदे ॥ ७ ॥ ॥ दीजै. ॥ न्यान सहाव स सरीर मुनि विजौरोदे, परिनामू नंतानंत विजौरोदे । जिन उवएसिउ मुक्ति पऊ विजौरोदे, अप्पा ममल सहाउ विजौरोदे ॥ ८ ॥ ॥ दीजै. ॥ संसार सरनि तं नंत मुनि विजौरोदे, भमियौ दुष्य सहंतु विजौरोदे । आदि अनादि न जानियौ विजौरोदे, न्यान अन्मोय विलंतु विजौरोदे ॥ ९ ॥ ॥ दीजै.॥ जिन उवएसिउ न्यान मउ विजौरोदे, अनादि कम्मु विलयंतु विजौरोदे । न्यान पयोहर अमिय रसु विजौरोदे, अनंत कम्मु विलयंतु विजौरोदे ॥ १० ॥ ॥ दीजै.॥ न्यान विन्यानह भेउ मुनि विजौरोदे, जनरंजन राग गलंतु विजौरोदे । श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जनह सहाउ न उत्तु जिनु विजौरोदे, सह न्यान राग विलयंतु विजौरोदे ॥ ११ ॥ ॥ दीजै.॥ कलरंजन दोष जु स्व गलिउ विजौरोदे, पर पर्जय विलयंतु विजौरोदे । पर्जय दिस्टि अनिस्ट मउ विजीरोदे, न्यान अन्मोय गलंतु विजौरोदे ॥ १२ ॥ ॥ दीजै.॥ मनरंजन गारौ गलिऊ विजौरोदे, वय तव क्रिय अन्यान विजौरोदे । गारौ श्रुत अन्यान मउ विजौरोदे, न्यान अन्मोय विलंतु विजीरोदे ॥ १३ ।। ॥ दीजै. ॥ दर्सन मोहे अंध पउ विजौरोदे, अंधे अंध स उत्तु विजौरोदे । अंधे चौ गइ दुहु सहियौ विजौरोदे, उत्पन्न न्यान विलयंतु विजौरोदे ॥ १४ ॥ ॥ दीजै.॥ रागु दोषु गारौ गलिऊ विजौरोदे, दर्सन मोहंध विलंतु विजौरोदे । न्यान उवनु विन्यान मऊ विजौरोदे, अन्मोय सिद्धि सम्पत्तु विजौरोदे ॥ १५ ॥ ॥ दीजै.॥ (२०७
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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