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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी उत्पन्न अन्याय विलंतु विजीरोदे ॥ १६ श्री ममल पाहुइ जी न्यानावर्नु न पेषियौ विजौरोदे, दर्सन मोहंध विलंतु विजौरोदे । न्यानंतरू नवि उत्तियौ विजौरोदे, उत्पन्न अन्मोय विलंतु विजौरोदे ॥ १६ ॥ ॥ दीजै.॥ निसंक सहावे न्यान पउ विजौरोदे, सल्य संक विलयंतु विजौरोदे । भय विनासु भवु जु मुनहु विजौरोदे, अमिय रमन जिन उत्तु विजौरोदे ॥ १७ ॥ ॥ दीजै. ॥ उत्पन्न दिस्टि उत्पन्न मउ विजौरोदे, हिय हुवयार संजुत्तु विजौरोदे । सहयारह सहिऊ घनौ विजौरोदे, तिविहि कम्मु विलयंतु विजौरोदे ॥ १८ ॥ ॥ दीजै. ॥ जानु उपजै जानु मउ विजौरोदे, रिजु विपुलह संजुत्तु विजौरोदे । मन पर्जय संजुत्तु पर विजौरोदे, पद विंदह केवल न्यानु विजौरोदे ॥ १९ ॥ ॥ दीजै.॥ ममल सहावे ममल पउ विजौरोदे, समल कम्मु विलयंतु विजौरोदे । न्यान विन्यान सु रमन पउ विजौरोदे, अन्मोय सिद्धि सम्पत्तु विजौरोदे ॥ २० ॥ ॥ दीजै.॥ (४२) जिन आयरो फूलबा गाथा ८३० से८४६ तक (विषय : दिष्टि-१४, पदवी सत अक्षरी, तिअर्थ की महिमा) उवंकार उवन पौ उवन उवन मौ, उव उवन स विंद विन्यान पऊ । जिन जिनयति जिनय जिनय जिन रूवी, जिन नंद सनंद स उत्तु सुयं जिन आयरो ॥ १ ॥ भय षिपनिक भव्वु स उत्तु नंद जिन आयरो, अहु कमल रमन रस रसिय परम जिन आयरो । दिपि दिपिय दिप्ति आयरन सहज जिन आयरो, भय सल्य संक विलयंतु ममल जिन आयरो । अह अमिय रमन विषु गलनु सुयं जिन आयरो, अहु तरन विवान जिनय जिन उत्तु समय जिन आयरो ॥ २ ॥ ॥आचरी॥ जिन जिनवर उत्तउ षिपक रमन जिनु, जिन जिनयति जिनय जिनेन्द पऊ ।। षट् रमन कमल रस अर्क विंद पउ, आगन्तु रमन रस रयन परम जिन आयरो ॥ ३ ॥ हिययार रमन रस रसियौ, हुवयार सब्द रै रमन मऊ । तं रयनं रयन सरूव रमन जिनु, उत्पन्न उवंन उवंन रमन रै॥ उवन उवन उवन निलय जिन आयरो ॥ ४ ॥ (२०८)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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