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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी असब्द सर संजोयं, अदिस्टं अनश्रुत सब्द जिन उत्तं । गम्य अगम सुइ रमनं, रमनं सिय रमन कमल जिन वयनं ॥ १८ ॥ गुपित सब्द जिन उत्तं, गुपितं अन्मोय गुपित सुइ उवनं । दिप्ति दिस्टि सुइ सब्द, सहकारं संजोय सब्द पिउ उवनं ॥ १९ ॥ सब्द समय सम उवनं, उवनं सर सब्द न्यान विन्यानं । विन्यान रंज सुइ रमनं, नंदं आनंद जिनय जिन उवनं ॥ २० ॥ सरं सहाव सु ममलं, ममलं सहकार सुयं सुइ कमलं । कमल कलिय जिन उत्तं, कमलं सहकार केवलं ममलं ॥ २१ ॥ अचष्यं सुभाव स उत्तं, अचष्यं उव उवन लष्य लष्यं च । गम अगम्य जिन वयनं, जिन उत्तं उवन अचष्य ममलं च ॥ २२ ॥ अचष्यं सुयं सुइ उवनं, उवन सहावेन कमल सुइ सुवनं । सुयं सुयं सुइ उवनं, जिन उत्तं सहकार मुक्ति गमनं च ॥ २३ ॥ तारन तरन सु रमनं, रंज रमन नंद रयन संजुत्तं । विवान उवन सुइ उत्तं, विवानं तरन सिद्धि सम्पत्तं ॥ २४ ॥
दीजै रमन कि रयन पउ विजौरोदे, कमल रमन जिन उत्तु विजौरोदे ॥ २ ॥
॥आचरी॥ न्यान डोरि मन राषियौ विजौरोदे,
अन्मोय न्यान सिद्धि रत्तु विजौरोदे । न्यानी न्यान सहाउ ले विजौरोदे, जं बाधा अवधौ जुत्तु विजौरोदे ॥ ३ ॥
॥दीजै.॥ अष्यर रमनह रयन पउ विजौरोदे.
सुर रमनह मुक्ति सुभाउ विजौरोदे ।। सुर रमनह मात विसेष ले विजौरोदे, विन्यान रमन सिद्धि रत्तु विजौरोदे ॥ ४ ॥
॥ दीजै.॥ विजन विन्यानह सहिउ विजौरोदे,
विन्यान मुक्ति दर्सतु विजौरोदे । अलष लषिउ सुइ न्यान पउ विजौरोदे, लषियौ लोय अलोय विजौरोदे ॥ ५ ॥
॥ दीजै.॥ लोय अलोयह ममल पउ विजौरोदे,
सहयार सरीर सुभाउ विजौरोदे । अर्थति अर्थह न्यान पर विजौरोदे, षट् कमलह संभाउ विजौरोदे ॥ ६ ॥
॥ दीजै.॥
(४१) बड़ौ विजौरो फूलबा
गाथा ८१० से ८२९ तक
(विषय : अष्यर, स्वर, व्यंजन, १७- सक) उवंकार उवन पउ विजौरोदे,
उव उवनउ न्यान विन्यान विजौरोदे । विन्यान विंद वीरज सहिऊ विजौरोदे,
अहु वीरज ममल सहाउ विजौरोदे ॥ १ ॥