________________
श्री ममल पाहुइ जी जैसे मुक्ति सहावे न्यानी सुष्य रमै । तैसे तरन रमन विंदे मुक्ति गमै ॥ ११ ॥
॥ स्वामी.॥ जैसे कमल रमन जिन उत्तु गमै । तैसे विंद रमन न्यानी मुक्ति रमै ॥ १२ ॥
॥ स्वामी.॥ जैसे उवन सहावे न्यानी तत्तु रमै । तैसे तारन अन्मोय स न्यानी अगमु गमै ॥ १३ ॥
॥ स्वामी.॥ जैसे रयन रमन न्यानी रयनि विलै । तैसे तरन अन्मोय स विंदे कम्मु गलै ॥ १४ ॥
॥ स्वामी.॥ जैसे जोति अन्मोये रमने जोति रमै । तैसे कमल विंद रस न्यानी मुक्ति गमै ॥ १५ ॥
॥स्वामी.॥ जैसे रमन सहावे न्यानी सुर सुय रमै । तैसे न्यान अन्मोय स न्यानी मुक्ति गमै ॥ १६ ॥
॥ स्वामी.॥ जैसे जलह सहावे विषु विद्धि करै । तैसे न्यान अन्मोय स न्यानी केवलु सरै ॥ १७ ॥
॥ स्वामी.॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जैसे सिद्ध सरूवे सिद्ध सिद्धि गमै । तैसे तारन अन्मोय स न्यानी विंद रमै ॥ १८ ॥
॥स्वामी.॥ जैसे विंजन रमन सुर सुयं अगमु गमै । तैसे विंद रमन तारन सहज रमै ॥ १९ ॥
॥स्वामी.॥ जैसे मुक्त सुभावे स न्यानी मुक्ति गमै। तैसे कमल रमन स न्यानी केवलु रमै ॥ २० ॥
॥स्वामी.॥ जैसे ममल अन्मोय स न्यानी सिद्धि गमै । तैसे तरन विवान अन्मोये विंद रमै ॥ २१ ॥
॥स्वामी.॥ जैसे षिपक सुभावे स न्यानी षिपि मुक्ति गमै। तैसे कमल स विंद अन्मोये मुक्ति रमै ॥ २२ ॥
॥स्वामी.॥ जैसे न्यान विन्यान अन्मोये मुक्ति गमै। तैसे तारन अन्मोये स न्यानी विंद रमै ॥ २३ ॥
॥स्वामी.॥ जैसे समय सहावे न्यानी केवल रमै । तैसे कमल रमन जिनु अगम गमै ॥ २४ ॥
॥स्वामी.॥
(२०४)