SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 203
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री ममल पाहुइ जी तं षिपक भाव भय षिपिय मऊ, तं सल्य संक विलयतु ।। तं नंत कम्मु विलयंतु सुइ, तं रमन रंज सिद्धि रत्तु ॥ १३ ॥ ॥हम.गंम.॥ तं मुक्ति ममल सुइ उवन पऊ, तं अमिय रमन रस जुत्तु । तं नंत कम्मु विलयंतु सुई, तं रमन रंज विहसंतु ॥ १४ ॥ ॥हम.गंम.॥ तं तारन तरन सहाउ मऊ, तं रमन विवान संजुत्तु । भय षिपिय रंज अन्मोय मऊ, सम समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ १५ ॥ ॥हम.गंम.॥ (३९) न्यान अन्मोय पचीसी फूलना गाथा ७६० से ७८५ तक (विषय : दिस्टि १४) उव उवन उवन पउ, उवन रमै। उव उवन अन्मोय स न्यानी समय समय ॥ १ ॥ स्वामी देहाले सुइ सिद्धाले भेउ न रहै। जं जाके अन्मोय स न्यानी मुक्ति लहै ॥ २ ॥ ॥ आचरी॥ जैसे दिस्टि सहावे न्यानी इस्टि रमै। तैसे विंद विन्यान स न्यानी सिद्धि समै ॥ ३ ॥ ॥ स्वामी.॥ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जैसे इस्टि संजोए रस्टि रिस्टि रमै। तैसे कमल अन्मोय स न्यानी मुक्ति गमै ॥ ४ ॥ || स्वामी.॥ जैसे समय सहावे इस्टि सस्टि गमै। तैसे विंद रमन न्यानी मुक्ति रमै ॥ ५ ॥ ॥स्वामी.॥ जैसे उवन उवन दिस्टि समय समय। तैसे तरन विवान अन्मोये मुक्ति गमै ॥ ६ ॥ ॥स्वामी.॥ जैसे दिस्टि सहावे न्यानी सहै समय । तैसे तरन विवान अन्मोये मुक्ति रमै ॥ ७ ॥ ॥स्वामी.॥ जैसे अवयास दिस्टि स न्यानी नंतु गमै। तैसे तरन अन्मोये विंदे मुक्ति गमै ॥ ८ ॥ ॥ स्वामी.॥ जैसे न्यान अन्मोये दिस्टि षिपकु षिपै । तैसे कमल रमन न्यानी केवलु लहै ॥ ९ ॥ ॥स्वामी.॥ जैसे षिपक सु इस्टि स न्यानी मुक्ति रमै। तैसे तरन विवान अन्मोये सिद्धि गमै ॥ १० ॥ ॥स्वामी.॥
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy