________________
श्री ममल पाहुइ जी
(३८) हम गंमि मऊ फूलना
गाथा ७४५ से ७५९ तक (विषय । अष्यर, स्वर, व्यंजन की सहायता से परम तत्त्व का दर्शन) जिन नंद नंद आनंद मऊ,
जिन उवनउ सिद्धि सहाउ । जिन समय संजुत्तउ सरन मऊ,
जिन दरसिउ ममल सुभाउ ॥ १ ॥ हम गम्य मऊ हम विंदि मऊ,
हम परमानंद सहाउ । हम नंद आनंदह नंद मऊ,
हम मुक्ति सिद्धि स सहाउ ॥ २ ॥
हम रंजन रमनह परम पऊ ॥ आचरी॥ जिन रमनह जोयो रंज मऊ, जिन न्यान विन्यान संजुत्तु । जिन अर्थति अर्थह रमन पऊ, जिन अमिय रमन दर्सतु ॥ ३ ॥
॥ हम.गंम.॥ भय षिपिय भव्वु तं रमन पऊ, तं अमिय रमन विहसंतु । तं रंजन जोयो ममल पऊ, तं रंज रमन सिद्धि रत्तु ॥ ४ ॥
॥हम.गंम.॥ तं न्यान सरूवे रूव मऊ, तं अमिय दिस्टि दर्सतु । तं भय विनासु सहकार मऊ, तं रमन रंज सिद्धि रत्तु ॥ ५ ॥
॥ हम.गंम.॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी उववन्न उनऊ न्यान मऊ, तं ममल न्यान सुइ उत्तु । तं अमिय रसायन रंज मऊ, तं समय सिद्धि सम्पत्तु ॥ ६ ॥
॥हम.गंम.॥ तं अष्यर सुर विंजन सहिऊ, पद परम तत्तु दर्सतु । भय षिपिय भव्य विन्यान मऊ, तं रंज रमन मुक्ति संजुत्तु ॥ ७ ॥
॥ हम.गंम.॥ तं पद अर्थह संजुत्तु पऊ, तं अर्थति अर्थ संजुत्तु । तं अमिय कमल जिन समय मऊ, तं रमन रंज सिव पंथु ॥ ८ ॥
॥ हम.गंम.॥ तं समयह परिनै परिनमऊ, उत्पन्न उवएस संजुत्तु । भय षिपिय अमिय रस ममल पऊ, तं जय जय रंज रमंतु ॥ ९ ॥
॥ हम.गंम.॥ तं समय सहावह ममल पऊ, सहयार न्यान संजुत्तु । तं अमिय पयोहर रमन पऊ, तं रंज कमल जिन उत्तु ॥ १० ॥
॥हम.गंम.॥ अवयासह नंतानंत पऊ, तं नंत न्यान दरसंतु । भय षिपिय नंत वीरज सहिऊ, तं रंज रमन सुह नंतु ॥ ११ ॥
॥हम.गंम.॥ अन्मोय न्यान तं कमल मऊ, तं अमिय पयोहर रत्तु । तं रिस्टि इस्टि विन्यान पऊ, तं रमन रंज सिव संतु ॥ १२ ॥
॥ हम.गंम.॥
(२०२)