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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी सुइ इस्ट दर्स जिन अगम मऊ, उत्पन्न दर्स जिन उवन पऊ । भय षिपिय अमिय रस ममल मऊ, अन्मोय तरन विंद मुक्ति पऊ ॥ १४ ॥ -घत्ताइय दर्स इस्ट सुइ ममल पऊ, उत्पन्न अमिय रस दर्स मऊ। सुइ न्यान विन्यान सु पर्म पऊ, विषु विलय अमिय रस मुक्ति गऊ ॥ १५ ॥ (२१) तालु छंद गाथा गाथा ४८१ से ४९७ तक (विषय : अबार पद अर्थ और सम्यक्त्व की महिमा, १७ सक) जिन उवएसिउ ममल पउ, परमानंद सहाउ । परम निरंजनु परम पउ, भय षिपनिक ममल सहाउ ॥ १ ॥ तारन तरन सु समय मऊ, न्यान विन्यान स उत्तु । ममल सहावे ममल पऊ, भय षिपनिक सिद्धि सम्पत्तु ॥ २ ॥ तत्काल उनउ न्यान विन्यानु, सो सुद्ध सचेयनु भव्वु पमानु । तरुवा तं तरनह भेउ संजुत्तु, सो भय षिपनिक है भव्वु स उत्तु ॥ ३ ॥ तरुवा तं उवनऊ उवन सहाउ, सु अष्यर अषयह भेउ सुभाउ । उवंकार उवन्नऊ विंद सहाउ, विन्यान विंद सह नंद सुभाउ ॥ ४ ॥ सु पद अर्थह परमप्पु स उत्तु, सु ममल सहावे सिद्धि संजुत्तु । सु अर्थह दर्सिउ अर्थ समथु, तरुवा तत्कालह कम्मु गलंतु ॥ ५ ॥ जं कमल कलंतउ कलिय स उत्तु, तं कारन कार्जह न्यानु उनु । जं उत्तउ जिनवर ममल सहाउ, तं भय षिपनिक है भव्वु सुभाउ ॥ ६ ॥ संमत्तह सहियौ न्यान विन्यानु, संमत्तह गलियौ कम्मु उवन्नु । संसार निवारनु संसय मुक्कु, निसंक सहावे कम्मु गलंतु ॥ ७ ॥ तरुवा तं नंतानंत नियंतु, सु ममल सहावे कम्मु गलंतु । जं जिनवर उत्तउ भव्वु स उत्तु, तं भय विनासु है कम्मु जिनंतु ॥ ८ ॥ तरुवा जं कमल सहाउ संजुत्तु, तं रमनह रमियौ जिनह पउत्तु । जं जिनवर लंकृत न्यान सहाउ, तं परिनै जुत्तउ भव्य सुभाउ ॥ ९ ॥ (१८३)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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