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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी जिन जिनय रंज सुइ ममल पऊ, जिननाथ रमन सुइ सिद्धि पऊ । जिन नंद सुयं परमानंद मऊ, जिन अन्मोय अबलबलि मुक्ति पऊ ॥ १७ ॥ जिन रंज रमनु सुइ नंद मऊ, अन्मोय अबलु विष विलय गऊ । जिन तारन तरन सहाउ मऊ, सिहु समय स उत्तु सु मुक्ति पऊ ॥ १८ ॥ श्री ममल पाहुइ जी जिन जित सुयं जिन न्यान मऊ, जिन नंतानंत सु इस्ट पऊ ।। ११ ॥ जिन वयनु जिनुत्तु सु इस्ट मऊ, जिन रमन आलाप सु जिनय पऊ । जिन सब्द इस्ट सुइ न्यान मऊ, जिन सब्द वियार सु दिस्टि पऊ ॥ १२ ॥ जिनुत्तु सु न्यान जिनुत्त मऊ, जिन सब्द सहाउ सु ममल पऊ । जिनुत्तु सब्द उत्पन्न मऊ, जिन दिस्टि सब्द सुइ सिद्धि पऊ ॥ १३ ॥ जिनुत्तु न्यान सुइ परिनमऊ, जिन परिनै जिनयति कम्म पऊ । जिन न्यान अन्मोय सु अषय पऊ, जिन न्यान विन्यान सु मुक्ति पऊ ॥ १४ ॥ जिनुत्तु सब्द सुइ परम पऊ, जिन उत्तु समय परमान मऊ । जिन उत्तु दिप्ति सुइ दिस्टि मऊ, जिन सब्द प्रियं सुइ मुक्ति गऊ ॥ १५ ॥ जिन रंज उवन हिययार मऊ, भय षिपिय अमिय रै रमन पऊ । जिन रंज सहयार विन्यान मऊ, वैदिप्ति रमन जिन रमन पऊ ॥ १६ ॥ -घत्ताजिन जिनयति कम्म उवन्न पऊ, ___ उववन्न न्यान विलसंतऊ । जिन अर्थतिअर्थ सु रमन मऊ, आयरन सिद्धि सम्पत्तऊ ॥ १९ ॥ (२४) इस्ट उत्पन्न छंद गाथा गाथा ४६६ से ४८० तक (विषय : पय १२) जिन जिनवर उत्तउ जिनय जिनु, जिन वयनु सब्द सहकार मऊ । जिन दिप्ति दिस्टि सुइ सब्द रऊ, जिन इस्ट दर्स दर्सतऊ ॥ १ ॥ (१८१)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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