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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी
(२३) इस्ट छंद माथा
गाथा ४४७ से ४६५ तक
(विषय : पय १२, लक्षण परिणाम - ३२००) जिन जिनवर उत्तउ जिनय पऊ,
इस्ट उवन संसुद्ध पऊ । अन्मोय न्यान सुई समय मऊ,
मुक्ति पंथ सिव सुष्य मऊ ॥ १ ॥ जिन इस्टि इस्टि इस्टिऊ,
उवन इस्टि उवन पऊ। जिन इस्टि सु न्यान उन पऊ,
उत्पन्न न्यान सो मुक्ति पऊ ॥ २ ॥ जिन इस्ट लष्य लष्यनो,
उत्पन्न इस्ट सु अलष मऊ । जिन लष्य अलष्य सु न्यान मऊ,
परिनाम लष्य सु सिद्धि पऊ ॥ ३ ॥ जिन चौसठि चरन सु चरन मऊ,
लष्यन सुभाउ सु ममल पऊ । जिन इस्ट विन्यान सु न्यान मऊ,
अन्मोय न्यान सो मुक्ति पऊ ॥ ४ ॥ जिन इस्ट गम्य सुइ गमन मऊ,
जिन अगम इस्ट सुइ अगम मऊ । गम अगम दिस्टि सुइ सब्द मऊ,
तं दिप्ति अमिय पिउ मुक्ति पऊ ॥ ५ ॥
जिन इस्ट कमल सुइ कलन मऊ,
उत्पन्न कमल सुइ रमन पऊ । जिन कलन न्यान सुइ रमन मऊ,
सुइ कम्मु विलय सो मुक्ति पऊ ॥ ६ ॥ जिन इस्ट रमन सुइ ममल मऊ,
उत्पन्न न्यान सुइ कम्म पिऊ । उववन्न उवन सुइ रमन मऊ,
___भय षिपिय अमिय रस सिद्धि पऊ ॥ ७ ॥ जिन इस्ट सु लंकृत लीन मऊ,
___ लंकृत उववन्न सु सिद्धि जिन पर्जय पर्जाव सु विलय मऊ,
जिन न्यान रमन सु मुक्ति पऊ ॥ ८ ॥ विन्यान न्यान सु इस्ट पऊ,
अन्मोय सहाउ सु उवन मऊ । मै मूरति न्यान सु इस्ट मऊ,
मै उवन सहाउ सु उवन पऊ ॥ ९ ॥ इस्ट मऊ,
उववन्न अन्मोय सु ममल जिन न्यान रमन सु अनेय मऊ,
जिन नेय उवन सु मुक्ति पऊ जिन समय उवन्न सु इस्ट पऊ,
उववन्न समय उववन्न मऊ ।
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