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श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी छद्मस्तह हो घाय विमुक्कु, केवल सहियौ सो मुनहु । ध्यानह हो ध्यान निमित्तु, न्यानी न्यान अन्मोय मऊ ॥ २० ॥ केवल हो दिस्टि सु दिस्टि, न्यान अन्मोय सु ममल पऊ। तारन हो तरन समथु, ममल न्यान सो मुक्ति गऊ ॥ २१ ॥
(२९) जकड़ी फूलना
गाथा ४०० से ४१८ तक (विषय । कर्म उत्पत्ति धिपति - जकड़ी अर्थात् जकड़न, उलझन) ऐ जिन उत्तु भवियन हो, न्यान विन्यान सहाउ । जिहि सहाइ भय विनसै, अभय मुक्ति संभाउ ॥ १ ॥ ऐ यह अभय मुक्ति संभाउ स उत्तउ, कम्मु मुक्कु जिनदेउ । जो तियलोयह अर्थति अर्थह, समय मुक्ति संजुत्तु ॥ २ ॥
॥ आचरी॥ ऐ जिन जिनवर उत्तउ, जं जिनियौ कम्मु अनंतु । ऐ अन्यान जु सहियौ, सो न्यान दिस्टि विलयंतु ॥ ३ ॥
॥ऐ यहु.॥ ऐ जिन उत्तर भवियन हो, ममलह ममल सहाउ । ऐ यहु न्यान दिस्टि सुइ उपजिऊ, सुद्धह सुद्ध सहाउ ॥ ४ ॥
॥ऐ यहु.॥ ऐ जह जह कम्मु जु उपजै, समल दिस्टि संभाउ । ऐ तह तह कम्मु जु विलियौ, ममलह ममल सहाउ ॥ ५ ॥
॥ ऐ यहु.॥
ऐ यहु आदि जु उपजिउ, भय विनासु है भब्यु । ऐ यहु न्यान सहावह, सहियौ नंतानंतु ॥ ६ ॥
॥ऐ यहु.॥ ऐ यह ममल सहावह, अनादि कम्मु विलयं तु ।। ऐ यहु समय संजुत्तउ, कम्मु मुक्कु जिन उत्तु ॥ ७ ॥
॥ऐ यहु.॥ ऐ यह उत्तउ जिनु है, जं जिनियाँ कम्मु अनंतु । ऐ यह लोयालोय विसुद्धउ, न्यान दिस्टि सम उत्तु ॥ ८ ॥
॥ऐ यहु.॥ ऐ यह अप्प सहावह, पर पर्जय विलयंतु । ऐ यहु ममल सरूवह, मुक्ति पंथ दर्सतु ॥ ९ ॥
॥ऐ यहु.॥ ऐ यह सिद्ध सरूवे पिच्छै, अर्थति अर्थह भेउ । ऐ यहु न्यान सहावह, उवनउ दाता देउ ॥ १० ॥
॥ऐ यहु.॥ ऐ यहु पंच दिप्ति परमिस्टिहि, परम भाउ उवलद्ध । ऐ यहु समय संजुत्तउ, समय सरन जिन उत्तु ॥ ११ ॥
॥ऐ यहु.॥ ऐ यहु चष्य अचष्यह, ममल भाउ दर्सतु । ऐ यहु समलु न पिच्छै, अन्यानह विलयंतु ॥ १२ ॥
॥ ऐ यहु.॥
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