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________________ श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी श्री ममल पाहुइ जी जं न्यान आवर्नह कम्म रऊ। तं न्यान अन्मोय विलंतु मुक्ति जिन विंदरऊ ॥ १२ ॥ ॥विन्यान.॥ जं दर्सन आवर्न अदर्स मऊ । तं दर्सन दिस्टि गलंतु अषय जिन विंदरऊ ॥ १३ ॥ ॥विन्यान.॥ मानापमान आवर्न मऊ। विन्यान अन्मोय विलंतु जिनय जिन विंदरऊ ॥ १४ ॥ ॥विन्यान.॥ जं न्यानह अंतरु समय मऊ । तं समय विन्यान विलंतु कमल जिन विंदरऊ ॥ १५ ॥ ॥ विन्यान.॥ जं न्यानह अंतरु अन्यान मऊ । तं न्यान अन्मोय गलंतु सिद्ध जिन विंदरऊ ॥ १६ ॥ ॥ विन्यान.॥ जं न्यान विओय अनिस्ट पऊ । तं इस्ट अन्मोय गलंतु अषय जिन विंदरऊ ॥ १७ ॥ ॥विन्यान.॥ जं असमय सहियौ कम्म पऊ। तं समय विन्यान विलंतु अमिय जिन विंदरऊ ॥ १८ ॥ ॥विन्यान.॥ जं दिस्टि अनंतु जु कम्मु पऊ । तं न्यान दिस्टि विलयंतु सुयं जिन विंदरऊ ॥ १९ ॥ ॥विन्यान.॥ जं सरह सहाउ सु कम्मु पऊ । तं सरह विन्यान विलंतु अगम जिन विंदरऊ ।। २० ।। ॥ विन्यान.॥ जं असब्द स उत्तउ कम्मु पऊ । विन्यान सब्द विलयंतु नंत जिन विंदरऊ ॥ २१ ॥ ॥विन्यान.॥ अदिस्टि उर्वनु जु कम्मु रऊ। अदिस्टि इस्टि विलयंतु अभय जिन विंदरऊ ॥ २२ ।। ॥ विन्यान.॥ जं गुपित कम्मु सुइ नंत पऊ। अन्मोय न्यान विलयंतु निलय जिन विंदरऊ ॥ २३ ॥ ॥विन्यान.॥ सक सल्य संक भय कम्म रऊ । सक गलिय न्यान विलयंतु सुद्ध जिन विंदरऊ ॥ २४ ॥ ॥ विन्यान.॥ जं कम्म विसेषु अनंत रुई । अन्मोय न्यान विलयंतु ममल जिन विंदरऊ ॥ २५ ॥ ॥ विन्यान.॥ (१७३)
SR No.009713
Book TitleAdhyatma Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
PublisherTaran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publication Year
Total Pages469
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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