________________
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
श्री ममल पाहुइ जी सु न्यान विन्यानह भेउ मुनंतु,
सु जिह्वा स्वाद अनंतु विलंतु । सु विषय सुभाउ पर्जाउ गलंतु,
सु न्यान सहावह तत्तु मुनंतु ॥ ३ ॥ सु जिह्वा ममल संजुत्तु थुनंतु,
सु ममल सहाउ अनंतु गलंतु । सु मिथ्या ससंक सल्य विलयंतु,
सु न्यान सहावह कम्मु गलंतु ॥ ४ ॥ जिह्वा पर भाउ न उत्तु न जुत्तु,
जिह्वा परजावह भाव विलंतु । जिह्वा कुन्यानह देस न उत्तु,
जिह्वा संसारह सरनि विरत्तु ॥ ५ ॥ जिह्वा संदर्सन मोह विमुक्कु,
जनरंजन राग दोसु विलयंतु । जिह्वा कलरंजन भाव विमुक्कु,
जिह्वा मनरंजन गार गलंतु ॥ ६ ॥ जिह्वा आवर्नु न न्यान चवंतु,
दर्सन आवर्नु न भाउ कलंतु । मोहन आवर्नु न उवनु गलंतु,
जिह्वा न्यानह अंतरु न चवंतु ॥ ७ ॥ आसा स भाउ न लिंतु थुनंतु,
अस्नेह दिस्टि नहु दिति मुनंतु ।
लाजह भयभीउ न संक करंतु,
लोभय भय नंतानंतु गलंतु ॥ ८ ॥ गारव गयंद विहडंति सीह,
आलस सुइ गलिय वयन समूहु । परपंच पर्जाउ न दिस्टियऊ,
विभ्रम भयभीउ विलंतियऊ ॥ ९ ॥ जिह्वा भय षिपिय कम्मु विलयं,
पर पर्जय नंतनंत गलियं । संक रहिय निसंक सल्य विलयं,
मय मोह प्रमानु न उत्तु सुयं ॥ १० ॥ जिह्वा परमप्पु प्रमान समो,
सुइ नंतानंत सु न्यान गमो । जिह्वा पद अर्थह भेउ मुनंतु,
अर्थह तिअर्थ परमर्थ मुनन्तु ॥ ११ ॥ जिह्वा सहकार सहाव संजुत्तु,
उववन्न अनंतु सु देइ पउत्तु । जिह्वा अवयास अर्थ ममलो,
___जिह्वा परमत्थु प्रमान सवनो ॥ १२ ॥ जिह्वा सम समय सु दिस्टि ममलो,
भय षिपनिक रूव उत्तु ममलो । जिह्वा अन्मोय न्यान सहजं,
अन्मोयह षिपिय कम्मु तिविहं ॥ १३ ॥
(१७१)