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श्री ममल पाहुड
जी
विवरह वयनह भय सहिउ, भयभीउ वयन सुइ उत्तु ।
जीवह गुन भूली जी भुली, न्यान सहाइ विलंतु ।। १६ ।। भयभीउ विपर्जय सहिउ श्रुत अनंत अनिस्ट |
अनिस्ट सहावे भय सहिउ तव क्रिया नरय संजुत्तु ।। १७ ।। वय तव श्रुत अन्यान पउ, विवरह मुंह बोलंतु । भयभीउ विपर्जय सहिउ, भव संसार भमंतु ।। १८ ।। इस्ट सहाउ न उपजई, अनिस्ट इस्ट दरसंतु । संक कंप्य सुइ मूढ मई, भय सहिय नरय संपत्तु ॥ १९ ॥ कमल सुभाउ स उत्तु जिनु, भय सल्य संक विलयंतु । पर्जय विलय सु सरनि विली, न्यान रमन रस उत्तु ॥ २० ॥ भय षिपनिकु तं अमिय मउ, ममल रमन रस उत्तु । कमल सहावे न्यान पउ विन्यान विंद दरसंतु ॥ २१ ॥ कमलह कलियाँ न्यान पउ, सक सल्य पर्जय विलयंतु । पर्जय विलय सु राग मउ, कमल जिनुत्तु संजुत्तु ॥ २२ ॥ मन भय दिस्टि सु झड़प भउ, विवर मुषं भय उत्तु । जीभ जी भुली भय भमन मउ, सुइ न्यान कमल विलयं ॥ २३ ॥ उवन हिययार सहयार भउ, संक सल्य पर्जय रय उत्तु । भौ भय विलय सुन्यान पउ, न्यान कमल विलयं ॥ २४ ॥ कमल कलिय जिन उत्तु पउ न्यान विन्यान संजुत्तु । भय षिपनि सुइ अमिय रसं, उव उवन विंद सम उत्तु ॥ २५ ॥ उवन हिययार सहयार मउ, उवन उवन संजुत्तु । उवन समय सुइ उवन पउ, तं विंद सुन्न सम उत्तु ।। २६ ।
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(१६) कमल छंद गाथा
गाथा २८९ से ३०२ तक (विषय अर्थ पय, कमल की महिमा)
कमलं कमल विसेषु मुनी, कमल भाव संसुद्ध पऊ ।
कमलह केवल उत्तु समु, मुक्ति पंथ सिव सुष्य मऊ ॥ १ ॥ कमलं उवनं कमलं सुवनं, कमलं अषयं कमलं सुरयं । कमलं विन्यान पयोहरयं, कमलं पय परम पदं ममलं ॥ कमलं पय अर्थ समुच्चियऊ,
२ ॥
कमलं सम भाउ परिषियऊ ।
कमलं सुइ सयन स उत्तियऊ,
अर्थह जिन अर्थ तिअर्थ पऊ ॥ ३ ॥
सम अर्थ सुयं परमर्थ पऊ,
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी
कमलं सम समय संजुत्तियऊ ।
कमलह सहकार अर्थ ममलो,
कल लंकृत कम्मु सुयं विलऊ ॥
कमलह अवयास स उत्तियऊ,
अवयासह नंतानंत कमलह कम्मानु बंध विलऊ,
कमलह उववंनु वि रयन पऊ,
पऊ ।
कमलह सिव सासय सुष पऊ ॥
कमलह कम्मान सौ गलि गयऊ ।
४ ॥
५ ॥