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श्री ममल पाहुइ जी सो न्यान रमन सूरऊ, सो आलस सुह गलंतऊ ।
सो परम तत्तु दर्सिऊ, परपंच भय विनासिऊ ॥ २१ ॥ विन्यान न्यान विभ्रऊ, विभ्रम सुरय विलंतऊ ।
उवन विंद विंदऊ, उवन नंद नंदिऊ ॥ २२ ॥ सो नंद नंद जुत्तऊ, सो चेयननंद संजुत्तऊ।
तं सहजनंद सहज मऊ, सो परमनंद परम पऊ ॥ २३ ॥ उन भाव लषिऊ, सो रमन रय परिषिऊ । सो रमन मुक्ति रमन पऊ, सो रमन रयन सिद्ध पऊ ॥ २४ ॥
- घत्ताउव उवन सहाउ सु उवन पऊ, उव उवन समय संजुत्तऊ । सु तरन विवान सु समय मऊ, सिहु समय सिद्धि संपत्तऊ ॥ २५ ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी मन भय उवन उपाइ लई, अदिस्टि इस्ट भय उत्तु । भयभीउ विपर्जय दिस्टि रमु, न्यान सहाइ विलंतु ॥ ५ ॥ मन भय उवन हिययार मउ, सहयार गुपित भय उत्तु । भय सहाइ ससंक पउ, निसंक न्यान विलयंतु ॥ ६ ॥ मन सहाइ भय पर्जय रऊ, अभय लब्धि नौ उत्तु । अस्नेहं भय लाज रऊ, न्यान लब्धि विलयंतु ॥ ७ ॥ दिस्टिहि भय संजुत्तु सुइ, पर पर्जय रत्तउ जुत्तु । पर सहाव पर्जय रमन, न्यान दिस्टि विलयंतु ॥ ८ ॥ पर दिस्टिहि पर्जय सहिउ, लोभह भयभीउ संजुत्तु । गारव भय गुरु लघु दिस्टियऊ, न्यान दिस्टि विलयंतु ॥ ९ ॥ जनरंजन रागु जु दिस्टि मउ, कलरंजन दोस भय जुत्तु । दर्सन मोहे भय सहिऊ, न्यान दर्स विलयंतु ॥ १० ॥ दिस्टि दर्स भयभीउ सुइ, पर्जय दिस्टि रमंतु । परह दिस्टि भयभीउ सुइ, तं न्यान दिस्टि विलयंतु ॥ ११ ॥ उत्पन्न दिस्टि भयभीउ सुई, हिययार अस्थान भय उत्तु । गुपित दिस्टिहि भय सहिउ, निसल्य न्यान विलयंतु ॥ १२ ॥ दिस्टि भयह सुइ झड़प मउ, दिस्टि न सहै ससंकु । भयभीउवि संसय सहिउ, चौ गइ दुष्य सहंतु ॥ १३ ॥ भय उवन दिस्टि सुइ झड़प मउ, हिय गुहिज लष्य अलष्य । भयह सहावे भमन पउ, अभय न्यान विलयंतु ॥ १४ ॥ कमलह भय संजुत्तु मउ, वयन असुद्ध चवंतु । विवर सहाव जु भय सहिउ, न्यान सहाइ गलंतु ॥ १५ ॥
भयभीउ सुइ, तं न्यान अस्थान भय उन
(११) वर्सन चौविहि माथा गाथा २६३ से २८८ तक
(विषय भय १, सक १७) दर्सन चौविहि उत्तियउ, चष्य अचष्य संजुत्तु । अवहिहि केवल ममल पउ, भय विनासु तं भव्वु ॥ १ ॥ उवन सु मन भय उत्तियउ, उववन्न न्यान विलयतु । उवन सहावे ममल पउ, भय गलिय सुयं सुइ भव्वु ॥ २ ॥ मन विसेषु सुइ नंत भउ, पर पर्जय संजुत्तु । पर्जय रत्तउ मूढ मई, उववंन न्यान विलयंतु ॥ ३ ॥ मन भय संक ससल्य मउ, संकउ सर पसर संजुत्तु । सरनि सहावे सरि गयऊ, उववन्न न्यान विलयंतु ॥ ४ ॥
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