________________
श्री ममल पाहुइ जी
(१३) अन्यानी अन्याब मऊ फूलना
गाथा २२१ से २३७ तक (विषय। औकास, अज्ञानी, अज्ञानता, संभाल, चेतावनी) अन्यानी अन्यान मऊ, मिथ्या सल्य संजुत्तुरिना । मुक्ति मुक्ति तू चिंतवही, मूढा मुक्ति न होइरिना ॥ १ ॥ मिथ्या दिस्टिहि पर सहियो, पर पर्जय संजतरिना ।। न्यान उवएसु न संपजइ, अन्यानी नरय निवासुरिना ॥ २ ॥ जनरंजन राग जु समय मऊ, जन उत्तह नंत विसेषरिना ।। आरति ध्यानह तू सहियो, थावर गै विलसंतुरिना ॥ ३ ॥ दर्सन मोहे अंध तु हूँ, अदर्सन समय संजुत्तरिना । न्यान विन्यान विवर्जियऊ, नरय वीय संजुत्तुरिना ॥ ४ ॥ अन्यानी असमय सहियो, समय सहाउ न दिट्टरिना । पर पर्जय दिस्टिहि सहियो, तिरिय गइ संजुत्तुरिना ॥ ५ ॥ पत्त विसेषु न जानियऊ, दत्तह भेउ अभेउरिना । अन्यानी मिथ्या सहियो, नरय तिरिय भमेइरिना ॥ ६ ॥ कलरंजन दोषह सहियो, पर्जय दिस्टि अनंतुरिना । मोह महामय पूरियउ, भव संसार भमंतुरिना ।। ७ ॥ मनरंजन गारव सहियो, श्रुत अन्यानु अनंतुरिना । न्यान सहाउ न चिंतियउ, थावर सरनि संजुत्तुरिना ॥ ८ ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी पर्जय मोहंधह सहियो, अप्प सहाउ न दिटुरिना । समले सहियो नरय गऊ, सरनि अनंत भमंतुरिना ॥ ९ ॥ न्यान सहाउ न दर्सियऊ, अन्यानह सहकारुरिना । परपंचह पर्जय सहियो, दुषु अनंत सहंतु रिना ॥ १० ॥ घाय कम्मु संतुस्ट परा, वय तव क्रिय अन्यानुरिना । गारव सहियौ तव कियऊ, नरयह दषु अनंतरिना ॥ ११ ॥ उवएसिउ अन्यान पऊ, कल लंकृत क्रिया संजुत्तुरिना । न्यान भेउ नवि जानियऊ, अंधु जु कुवा पडतुरिना ॥ १२ ॥ राय सहिउ गारव सहिउ, मिथ्यामय उवएसुरिना । अन्मोय विरोहु न जानियऊ, दुग्गड़ गमनु संजुत्तुरिना ॥ १३ ॥ देउ न दिट्ठउ अमिय मउ, परम देउ नहु भेउरिना । अंधउ बहिरंधउ मुनहु, चौगइ दुषु सहंतुरिना ॥ १४ ॥ गुरु नवि जानिउ गुपित रुई, परम गुरह नहु भेउरिना । मिथ्या मय सल्यह सहियो, दुषु अनंत सहंतुरिना ॥ १५ ॥ धम्मह भेउ न जानियऊ, कम्मह किय उवएसुरिना । अन्यानी वय तव सहियो, भमियौ काल अनंतरिना ॥ १६ ॥ अवकिन मूढा चिंतवही, न्यान सिरी सिहु भेउरिना । न्यान विन्यानह समय पऊ, कम्मु विसेषु गलंतुरिना ॥ १७ ॥