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श्री ममल पाहुइ जी रमियौ न्यान सहाउ लई, जिनियो कम्मु अनंतुरिना । रमने रमियो ममल पउ, तिविहि कम्मु विलयंतुरिना ॥ ६ ॥ लंकृत सहियो पत्तु जई, लीन सहाव सु दत्तुरिना । सुद्धह सुद्ध सहाउ लई, मुक्ति पंथु दरसंतुरिना ॥ ७ ॥ जइ विन्यान संजुत्तु सुइ, ममल सहाउ सु पत्तुरिना । परिनै सहियो दत्तु सुई, परमानह केवलु दिस्टिरिना ॥ ८ ॥ मै मूर्ति पत्तु जु न्यान मउ, समय सहाउ सु दत्तुरिना । नंतानंत सु पत्तु मुनी, सहकारह नंत सु दत्तुरिना ॥ ९ ॥ नाना प्रकार न्यान सहियो, पत्तु जिनेन्दह उत्तुरिना । दत्तु सहाव विन्यान मउ, अवयासह नंतानंतुरिना ॥ १० ॥ दत्तह पत्तु विसेष मुनी, अन्मोयह संजुत्तुरिना । न्यान विन्यानह परम पउ, सिद्धह मुक्ति सुभाउरिना ॥ ११ ॥ अन्मोयह नंत विसेष मुनी, पत्त दत्तु सम भाउरिना । दिस्टि दिप्ति अन्मोय मउ, नंद अनंद संजुत्तुरिना ॥ १२ ॥ सयनासन सम भाउ समु, सहजानंद संजुत्तु रिना ।। न्यानी न्यान अन्मोय मऊ, ममल सु दर्सन दिस्टिरिना ॥ १३ ॥ आहार न्यान सो ममल पऊ, सहकारह संजुत्तुरिना । विजन विन्यानह सहियौ, दुद्धर धरिउ सहाउरिना ॥ १४ ॥ हृदयह दर्सिउ ममल पऊ, ममल न्यान सहकारुरिना । पत्तह दत्तु विसेषु मुनि, न्यानी न्यान अन्मोयरिना ॥ १५ ॥ सिद्ध सरूवे पत्त मुनी, न्यान सहावे सु दत्तुरिना । सिद्ध सरूवे सिद्ध पऊ, न्यान सरूवे मुक्तिरिना ॥ १६ ॥
श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी अन्मोयह ससहाउ मुनी, सिद्धह मुक्ति सहाउरिना । कमलह कमल सहाउ लई, अर्थ तिअर्थ संजुत्तुरिना ॥ १७ ॥ पंच न्यान परमिस्टि पउ, न्यान अन्मोय विसेषुरिना । न्यानं न्यान सु विद्धि पउ, ममल न्यान परमथुरिना ॥ १८ ॥ चष्यह मिलियो दिस्टि मऊ, अचष्यह न्यान स उत्तुरिना । अवहि मिलियो गुपित रुई, ममल न्यान सहकारुरिना ॥ १९ ॥ पत्तह दत्तु विसेषु मुनी, लषन रूव संजुत्तुरिना । पत्तु जु उत्तउ जिनवरहं, दत्तु जु दान संजुत्तरिना ॥ २० ॥ पत्तह दत्तु विसेषियऊ, विक्त सरनि संसारुरिना । जनरंजन राग जु विक्त मऊ, कलरंजन दिस्टि गलंतुरिना ॥ २१ ॥ मनरंजन गारव विक्त रुई, दर्सन मोहंध विमुक्कुरिना । न्यानावरनु न पेषियऊ, दर्सन ममल सहाउरिना ॥ २२ ॥ कल लंकृत कम्मु जु सै गलिऊ, गलिय सरनि संसारुरिना । कुन्यान दिस्टि मै सुइ गलियं, तिविहि कम्मु विलयतुरिना ॥ २३ ॥ न्यानी न्यान सहाउ मुनी, न्यान विन्यान संजुत्तरिना । ममल न्यान अन्मोद लई, सरूवे मुक्ति स उत्तुरिना ॥ २४ ॥ न्यान दान विन्यान मऊ, परम न्यान संजुत्तुरिना । आहार न्यान आहार मऊ, ममल भाव संतुस्टुरिना ॥ २५ ॥ भेषज दानु जु जिन कहिउ, बाधा रहित संजुत्तुरिना । अभय दान तं जिन भनिऊ, भय विनासु तं भव्युरिना ॥ २६ ॥ दानु चउ विहि उत्तियउ, ममल भाउ जिन दिस्टुरिना । पत्तह दत्तु सु ममल मुनी, ममल न्यान सिव संतुरिना ॥ २७ ॥